नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने तीनों नगर निगम को अपने मौजूदा व पूर्व शिक्षकों, डॉक्टर, नर्सों, सफाई कर्मचारियों सहित सभी कर्मियों को 5 अप्रैल तक बकाया वेतन व पेंशन का भुगतान करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने कहा है कि इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए तीनों निगमों के आयुक्त निजि तौर पर जिम्मेदार होंगे। जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की पीठ ने पहले महामारी के दौरान से ही इस मामले की सुनवाई की जा रही थी और आपने (नगर निगमों) परिस्थितियों का हवाला देकर वेतन व पेंशक के भुगतान में देरी होने की बात की, इसलिए किसी तरह का आदेश पारित नहीं किया गया था।

न्यायालय ने कहा कि अब स्थिति समान्य हो रही है

न्यायालय ने कहा कि अब स्थिति समान्य हो रही है, ऐसे में मौजूदा कर्मचारियों को वेतन और पूर्व कर्मचारियों को पेंशन नहीं देने का कोई औचित्य नजर नहीं आता है। यह टिप्पणी करते हुए न्यायालय ने तीनों नगर निगमों से 5 अप्रैल तक सभी अपने मौजूदा व पूर्व शिक्षकों, डॉक्टर, नर्सों, सफाई कर्मचारियों सहित सभी कर्मियों को वेतन व पेंशन का भुगतान करने का आदेश दिया है। पीठ ने अखिल दिल्ली प्राथमिक शिक्षक संघ, नगर निगम सेवानिवृत कर्मचारी कल्याण संघ सहित अन्य संगठनों की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। इसके साथ ही न्यायालय ने तीनो निगम के अधिवक्ता को दिल्ली सरकार द्वारा निगम के बजट की गई कथित कटौती पर साझा जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इससे पहले कर्मचारियों की ओर से अधिवक्ता ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए वेतन के बकाये पर ब्याज की भी मांग की है। मामले की अगली सुनवाई भी 5 अप्रैल को होगी।

हाईकोर्ट ने कर्मचारी के वेतन व पेंशन उनका मौलिक अधिकार

पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने कर्मचारी के वेतन व पेंशन उनका मौलिक अधिकार बताया था। पीठ ने कहा था कि उससे ही उनकी आजीविका चलता है। पीठ ने कहा था कि समय से वेतन नहीं मिलने पर कर्मचारियों का रहन सहन प्रभावित होता है। न्यायालन ने कहा था कि धन की कमी होने का आधार बनाकर वेतन नहीं देना स्वीकार योग्य दलील नहीं है। आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हाईकोर्ट के इस आदेश से हम खुश हैं। निगम कर्मियों ने हड़ताल, बातचीत करके देख लिया था, मगर कोई समाधान नहीं निकल रहा था। अंततः न्यायालय ने तीनों नगर निगमों को यह आदेश दिया है कि वह 5 अप्रैल तक इन सभी कर्मचारियों की वेतन और पेंशन का भुगतान करें। एमसीडी के वकीलों ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाने की कोशिश की थी, मगर दिल्ली सरकार का कोई बकाया नहीं होने की वजह से न्यायालय की तरफ से यह निर्देश सीधे-सीधे एमसीडी के आयुक्तों को दिया गया है। इस वक्त नगर निगम के हालात बेहद बदतर हैं। भाजपा ने सोचा था कि सिर्फ बहानेबाजी करके, दिल्ली सरकार पर आरोप लगाकर वे एमसीडी के काले कारनामों को ढक देते है, मगर उपचुनावों में जनता ने बता दिया है कि बहानेबाजी नहीं चलेगी।

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