भोपाल-इटारसी, रूठियाई-मक्सी और गुना-ग्वालियर के बीच चलेंगी ये ट्रेनें

भोपाल। प्रदेश के यात्रियों की जरुरत को देखते हुए भोपाल रेल मंडल में जल्दी ही लोकल मेमू ट्रेन चलाई जाएगी। लंबे समय से प्रतिक्षा कर रहे यात्रियों का अब इंतजार खत्म होने वाला है।ये सभी नई लोकल मेमू ट्रेनें होगी। भोपाल से बीना के बीच पूर्व से एक मेमू ट्रेन चल रही है, जिसे कोरोना संक्रमण के कारण बंद कर दिया था। इसका पुन: संचालन जल्द ही शुरू किया जाएगा। रेलवे बोर्ड ने पश्चिम-मध्य रेलवे को मेमू ट्रेन चलाने के लिए चार नए रैक आवंटित कर दिए हैं। इनमें से दो रैक बीना स्थित मेमू शेड पहुंच गए हैं। बाकी के रैक भी एक सप्ताह के अंदर मिल जाएंगे। इन रैक से भोपाल-इटारसी, रूठियाई-मक्सी और गुना-ग्वालियर के बीच लोकल मेमू ट्रेनें चलेंगी।

रेलवे बोर्ड के अधिकारियों की माने तो मेमू ट्रेनें पैसेंजर

रेलवे बोर्ड के अधिकारियों की माने तो मेमू ट्रेनें पैसेंजर ट्रेनों की जगह लेंगी। अभी लंबी दूरी तक पैसेंजर ट्रेनें चलती हैं। भोपाल रेल मंडल में 92 स्टेशन है। 04 मुख्य स्टेशन भोपाल, हबीबगंज, इटारसी, बीना हैं। 10 स्टेशनों के बीच आने वाले समय में लोकल मेमू ट्रेनें चलाई जानी हैं। 01 मेमू ट्रेन कोरोना संक्रमण के पहल तक चलती थी, जिसे दोबारा चालू किया जाएगा। एक लोकल मेमू को 50 हजार से अधिक यात्री रोज मिलने की संभावना है।12 से अधिक पैसेंजर ट्रेनें कोरोना संक्रमण के पहले तक मंडल से होकर गुजरती थीं, इनकी जगह लेंगी मेमू। 60 से 70 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से मेमू ट्रेनें दौड़ेंगी। 30 से 35 किमी प्रतिघंटा की गति से पैसेंजर ट्रेनें दौड़ती थी।

मेमू की तुलना में अपेक्षाकृत कम होती है। मेमू स्टेशनों पर

पैसेंजर ट्रेनों की गति मेमू की तुलना में अपेक्षाकृत कम होती है। मेमू स्टेशनों पर रुकने के बाद जल्द रफ्तार पकड़ लेती हैं। पैसेंजर ट्रेनों को रुकने और गति पकड़ने में समय लगता है। इस वजह से ये अपनी यात्रा जल्द पूरी नहीं कर पाती हैं। लोकल मेमू सभी छोटे स्टेशनों पर ठहराव लेकर चलेंगी। ये ट्रेनें दोनों छोर से चलने में सक्षम होती है। इनके दोनों छोर पर इलेक्ट्रॉनिक इंजन लगे होते हैं। इस वजह से बार-बार इंजन बदलने की नौबत नहीं है। समय की बचत होती है।रैक के मेंटेनेंस की जरुरत कम होती है। अभी इनका मेंटेनेंस गुजरात के बड़ोदरा में होता है। जब भी भोपाल से बीना के बीच चलने वाली मेमू ट्रेन के रैक में खराब आती थी, तब बड़ोदरा से तकनीकी टीम को ठीक करने के लिए बुलाया जाता था। अब बीना में शेड बनने से रैक तुरंत ठीक किए जा सकेंगे।

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