नरेंद्र भंडारी (प्रबंध संपादक ) 21 नवंबर 2019 ,नई दिल्ली-दिल्ली में चल रहे 39वे भारतीय अन्तराष्ट्रीय व्यापार मेले में आज बिहार भवन में बिहार दिवस समारोह मनाया गया। कार्यक्रम में बिहार के उधोग मंत्री श्याम रजक ने शिरकत की। बिहार सरकार के उद्योग विभाग द्वारा आयोजित बिहार दिवस समारोह का उद्घाटन करते हुए उन्होंने प्रसन्नता जाहिर की।उन्होंने बिहार तथा देश के विभिन्‍न भागों से आए लोगों को बिहार दिवस की शुभकामनाएँ दी।कार्यक्रम में उन्होंने बिहार सरकार द्वारा चलाये जा रहे अभियानों के बारे में जानकरी दी। सरकार द्वारा रोजगार पैदा करने के लिए किये जा रहे प्रयासों के विषय में बताया।

उन्होंने कहा माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली हमारी सरकार का उद्देश्य राज्य के प्रत्येक व्यक्ति को गरीबी और अभाव से मुक्त करना है। इसके लिए हमारी सरकार अपनी आर्थिक योजनाओं के माध्यम से आम जनता को रोजगार का अधिकाधिक अवसर दिलाने के प्रयास में है। चूँकि बिहार में कृषि
आधारित उद्योग एवं व्यवसाय, खादी, हस्तशिल्प एवं हस्तकरधा के क्षेत्र में ही बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन संभव है।नई सोच और नए आइडिया वाले उद्यमियों को उद्योग विभाग की नीतियों का साथ मिल रहा है।

आगे उन्होंने कहा हस्तकरघा एवं खादी के क्षेत्र में रोजगार सृजन की विपुल संभावनाये है। इसलिए इस क्षेत्र हेतु भी अनगिनत योजनाओं का कार्यान्वयन किया जा रहा है। राज्य के सरकारी अस्पतालों में सतरंगी चादर की आपूर्ति तथा बुनकरों को 90 प्रतिशत अनुदान पर फेम लूम की आपूर्ति की गई है। खादी प्रक्षेत्र के
विकास के ऊपर भी पूरा ध्यान दिया गया है। खादी वस्त्रों के उत्पादन पर 20 प्रतिशत की छूट दी जा रही है। निफ्ट, पटना के सहयोग से नये-नये डिजाइन के खादी वस्त्रों का उत्पादन किया जा रहा है। खादी वस्त्रों की बिक्री के लिए पटना में भारत क॑ सबसे बड़े खादी मॉल का निर्माण कराया गया है,जिसका उद्घाटन बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार द्वारा 05 नवम्बर को किया गया है।

बिहार में हस्तशिल्प की दुनिया बहुत विस्तृत है। यहाँ के टेराकोटा, टिकुली कला, सिक्‍की शिल्प और मिथिला (मधुबनी) पेंटिंग जैसे कई शिलपों की विविधता और संपन्नता चकित करती है। वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा बिहार में हस्तशिल्प प्रक्षेत्र के लिए 30 करोड़ रूपये की स्वीकृति दी गई है। इसके तहत राज्य के 15 स्थलों पर 11 शिल्पों तथा टेराकोटा, सिक्‍की शिल्प, मिथिला पेंटिंग, एप्लिक,”कशीदा, बेंत<बांस कला, टिकूली पेंटिंग, काष्ठ कला, मंजूषा पेंटिंग, सुजनी शिल्प, स्टोन एवं जूट क्राफ्ट के लिए एक-एक करोड़ की लागत से सामान्य सुविधा केन्द्र का निर्माण कराया जा रहा है। जहाँ एक ही छत के नीचे प्रशिक्षण, डिजाइन, ट्रेनिंग, ऑनलाईन बिकी सहित सारी सुविधायें उपलब्ध कराये जाने की तैयारी है। इसके साथ-साथ अन्य ग्रामीण अंचलों में कार्यरत शिल्पियों का आधारभूत सर्वेक्षण और उन्हें बाजार की मांग के अनुरूप हस्तशिल्प एवं नये-नये डिजाइन का निःशुल्क प्रशिक्षण, उनके लिए सेमिनार, मेला एवं प्रदर्शनी का आयोजन, क्राफ्ट एक्सचेंज प्रोग्राम तथा अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार इत्यादि का आयोजन किया जा रहा है। हस्तशिल्पों की ऑनलाईन बिक्री भी प्रारंभ कर दी गई है। आप सभी जानते है कि प्रगति मैदान के इस मेले में भारत के सभी राज्यों के साथ पड़ोसी देश भी शामिल होते है। प्रत्येक वर्ष, जो राज्य सबसे अच्छा प्रदर्शन करता है, उसे गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जाता है। वर्ष 2014 से बिहार मंडप को सजाने की जिम्मेवारी उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान, पटना को दीं गई है। उसके बाद वर्ष 2014, 2015, 2016 एवं 2018 में श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए बिहार को गोल्ड मैडल से सम्मानित किया जा चुका है।

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