चमोली। उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने के बाद आई व्यापक बाढ़ के कारणों का अध्ययन करने के लिए ग्लेशियर के बारे में जानकारी रखने वाले वैज्ञानिकों ग्लेशियोलॉजिस्ट की दो टीम जोशीमठ-तपोवन जाएंगी। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कलाचंद सैन ने यह जानकारी दी है। सैन ने कहा कि ग्लेशियोलॉजिस्ट की दो टीम हैं एक में दो सदस्य हैं और एक अन्य में तीन सदस्य हैं। ये टीम सोमवार की सुबह देहरादून रवाना होंगी। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तत्वावधान में देहरादून का वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, क्षेत्र में हिमनदों और भूकंपीय गतिविधियों सहित हिमालय के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करता है। इसने उत्तराखंड में 2013 की बाढ़ पर भी अध्ययन किया था जिसमें लगभग 5000 लोग मारे गए थे। सैन ने कहा, टीम त्रासदी के कारणों का अध्ययन करेगी। हमारी टीम ग्लेशियोलॉजी के विभिन्न पहलुओं को देख रही होगी। उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट जाने के कारण ऋषिगंगा घाटी में अचानक विकराल बाढ़ आ गई। इससे वहां दो पनबिजली परियोजनाओं में काम कर रहे कम से कम सात लोगों की मौत हो गई और 125 से ज्यादा मजदूर लापता हैं। सैन ने कहा कि रविवार की घटना काफी “अजीब” थी क्योंकि बारिश नहीं हुई थी और न ही बर्फ पिघली थी।

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