नई दिल्‍ली। चीन के साथ रिश्‍तों में बढ़ती खटास के बीच यूरोप और भारत और करीब आने वाले हैं। 8 मई को होने वाले अनौपचारिक सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल यूरोपियन यूनियन के सभी 27 राष्‍ट्राध्‍यक्षों से मिलेगा। यह मुलाकात पुर्तगाल के पोर्तो शहर में होगी। सम्‍मेलन के बाद पीएम मोदी और पुर्तगाली पीएम एंटोनियो कोस्‍टा के बीच द्विपक्षीय मुलाकात भी होगी। इसके अलावा, भारतीय और यूरोपियन इंडस्‍ट्री के बीच एक बिजनस राउंड-टेबल भी तय की गई है।

भारत अपनी राष्‍ट्रीय और यूरोप अपनी महाद्वीपीय प्राथमिकताओं को

यूरोपियन सूत्रों ने कहा कि भारत अपनी राष्‍ट्रीय और यूरोप अपनी महाद्वीपीय प्राथमिकताओं को लेकर एकसाथ आ रहे हैं।आधिकारिक सूत्र ने कहा, “हमारी पांच प्राथमिकताएं हैं। यह प्राथमिकताएं भारत की भी हैं।” उन्‍होंने वे 5 प्राथमिकताएं, ग्रीन ट्रांजिशन, डिजिटल ट्रांजिशन, सोशल ट्रांजिशन, लचीलता और “खुलापन” बताईं जो कि एक बहुआमायी दुनिया की फिर से पुष्टि करता है। ईयू के अधिकारी ने कहा, यूरोप मानता है कि बहुध्रुवीय एशिया होना चाहिए क्‍योंकि एशिया में भारत का रोल उतना ही अहम है जितना यूरोप और एशिया का रिश्‍ता। फरवरी की शुरुआत में चीन और पूर्वी यूरोप के देशों के बीच हुए 17प्लस 1′ सम्‍मेलन से छह देशों, बुल्‍गारिया, रोमानिया, स्‍लोवेनिया और तीन अन्‍य बाल्टिक देशों ने कदम पीछे खींच लिए।

यूरोप और एशिया में चीन पर नजर रखने वालों के कान खड़े हो

इससे यूरोप और एशिया में चीन पर नजर रखने वालों के कान खड़े हो गए। पिछले हफ्ते व्‍यापार के लिए जिम्‍मेदार यूरोपियन कमिशन के एक्‍जीक्‍यूटिव वाइस प्रेसिडेट वाल्दिस दोम्‍ब्रोविस्‍किस ने कहा, “हमने हाल ही में भारत और ईयू के बीच एक हाई-लेवल बातचीत की थी। ईयू-भारत सम्‍मेलन को देखते हुए हम व्‍यापार के क्षेत्र में और क्‍या कर सकते हैं, इसके और विकल्‍प तलाश रहे हैं।ईयू की नई ट्रेड स्‍ट्रैटजी में भी भारत के साथ साझेदारी को एक उद्देश्‍य बताया गया है।
पुर्तगाल के हाथों में ईयू की अध्‍यक्षता जनवरी में आई थी। दिलचस्‍प बात ये है कि भारत और यूरोपियन यूनियन के बीच 2000 में पहला सम्‍मेलन जब हुआ था, तब भी ईयू के अध्‍यक्ष पद पर पुर्तगाल ही था।

जलवायु कानून को मंजूरी देनी है, उसका मकसद 2050 तक

यूरोप को अपने जलवायु कानून को मंजूरी देनी है, उसका मकसद 2050 तक पहला कार्बन-न्‍यूट्रल महाद्वीप बनने का है। महामारी के बाद सोशल ट्रांजिशन की जरूरत और बढ़ गई है। इसमें नागरिकों को कोरोना से बचाने के कदम उठाए जाएंगे। एक सूत्र ने कहा, “हम भारत सम्‍मेलन वाले दिन ही एक सामाजिक सम्‍मेलन भी आयोजित करने वाले है। आर्थिक लचीलता महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि महामारी के बाद अर्थव्‍यवस्‍थाओं में हड़कंप है लेकिन यूरोपियन यूनियन का इसपर खासा जोर है।ईयू की आखिरी प्राथमिकता ‘खुलेपन’ की है जिसे बहुध्रुवीय विश्‍व के महत्‍व पर जोर देने की तरह देखा जा रहा है। भारत के लिहाज से यह सम्‍मेलन जलवायु, कनेक्टिविटी, व्‍यापार और निवेश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाने का है।

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