बीजिंग। चीन में विदेशी पत्रकारों के लिए काम करने की स्थिति 2020 में भी बदतर हो गई है। इस दौरान चीन ने 18 संवाददाताओं को निर्वासित किया है जो 1989 में थिएनआनमन चौक की घटना के बाद सबसे ज्यादा है। फॉरेन कॉरसपोंडेंट्स क्लब ऑफ चाइना (एफसीसीसी) ने कहा कि चीनी अधिकारियों ने कोविड-19 महामारी पर रिपोर्टिंग को बेहद सीमित कर दिया है और पत्रकारों पर नजर रखते हुए उन्हें निर्वासित किया।

चीनी अधिकारियों ने 2020 में विदेशी संवाददाताओं के काम

रिपोर्ट के अनुसार चीनी अधिकारियों ने 2020 में विदेशी संवाददाताओं के काम को विफल करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। राज्य के सभी अंगों और कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए लाई गई निगरानी प्रणाली का इस्तेमाल पत्रकारों, उनके चीनी सहयोगियों को तंग करने और धमकाने के लिए किया गया। साथ ही उन लोगों को भी परेशान किया गया जिनका साक्षात्कार विदेशी मीडिया लेना चाहती थी। रिपोर्ट के अनुसार लगातार तीसरे साल एक भी पत्रकार ने एफसीसीसी के सर्वेक्षण में यह नहीं कहा कि काम करने की स्थिति में सुधार हुआ है।

विदेशी संवाददाताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा की कथित जांच को लेकर

रिपोर्ट के मुताबिक विदेशी संवाददाताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा की कथित जांच को लेकर निशाना बनाया गया और उनसे कहा गया कि वे देश नहीं छोड़ सकते हैं। इसके अलावा चीन ने प्रेस परिचय पत्र रद्द कर दिए और वीजा नवीनीकरण करने से इनकार कर दिया है। सन 2020 के पहले छह महीनों में चीन ने अमेरिका के तीन प्रमुख समाचार पत्र समूहों से जुड़े कम से कम 18 विदेशी पत्रकारों को निर्वासित किया। एफसीसीसी की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, हमने उस संगठन को कभी मान्यता नहीं दी है। यह तथाकथित रिपोर्ट तथ्यों के बजाय पूर्वाग्रहों पर आधारित है। इसके माध्यम से सनसनी और डर फैलाने की कोशिश की गई है।

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