नई दिल्ली । बीते साल गलवान घाटी हिंसा के बाद से भारत और चीन के रिश्ते बेहद तल्ख हैं। वहीं सीमा विवाद को लेकर कई दौर की वार्ताओं के बाद भी मामला शांत होता नहीं दिख रहा। इस बीच भारत अब ड्रोनों, सेंसरों, टोही विमानों और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के औजारों के जरिए चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी की हरकतों पर पहले से ज्यादा पैनी नजर रखने की तैयारी में है।

रक्षा मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया

इस कदम के पीछे का बड़ा मकसद ड्रैगन की घुसपैठ की कोशिश को रोकना है।अनुसार रक्षा मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया किएलएसी को पाकिस्तान के साथ 778 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा एलओस की तरह लगातार मेनटेन नहीं किया जा सकता है। इसलिए, एलएसी के साथ रियल टाइम की जानकारी के लिए मौजूदा निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है। सूत्र ने बताया कि अधिग्रहण और इंडक्शन की योजना हाई-अल्टीट्यूड वाले क्षेत्रों के लिए मिनी ड्रोन और अल्ट्रा-लार्ज-रेंज सर्विसेजलांस कैमरों से लेकर सुदूर-पड़ोसी विमान प्रणालियों के लिए साथ ही, इजराइल से तीन से चार हेरॉन यूएवी को लीज पर लेने की भी बात चल रही है।

वायुसेना के लिए हैरॉप कमिकेज अटैक

इसके अलावा, वायुसेना के लिए हैरॉप कमिकेज अटैक ड्रोन भी खरीदे जाने हैं। गौरतलब है कि सेना ने पिछले महीने एक भारतीय कंपनी के साथ 140 करोड़ रुपये की डील पर भी हस्ताक्षर किए हैं। इस डील के तहत अडवांस वर्जन के स्विच ड्रोन खरीदे जाएंगे। एक सूत्र ने कहा, ऐसे ड्रोनों के आने से रणनीतिक स्तर पर हमारी निगारानी प्रणाली में बड़ा बदलाव आएगा। एलएसी पर बटालियन कमांडरों और सैन्य टुकड़ियों को पल-पल की स्पष्ट तस्वीरें मिलेंगी।” इधर, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन डीआरडीओ ने बॉर्डर ऑब्जर्वेशन ऐंड सर्विलांस सिस्टम बीओएसएस को लगभग विकसित कर लिया है। इसमें कई सेंसर सिस्टम लगे हैं।

भारतीय कंपनी के साथ 140 करोड़ रुपये

वहीं, आर्मी ने पिछले महीने एक भारतीय कंपनी के साथ 140 करोड़ रुपये की डील पर भी हस्ताक्षर किए हैं। इस डील के तहत अडवांस वर्जन के स्विच ड्रोन खरीदे जाएंगे। एक सूत्र ने कहा, ऐसे ड्रोनों के आने से रणनीतिक स्तर पर हमारी निगारानी प्रणाली में बड़ा बदलाव आएगा। एलएसी पर बटालियन कमांडरों और सैन्य टुकड़ियों को पल-पल की स्पष्ट तस्वीरें मिलेंगी। बता दें कि बीते साल 15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में पीएलए के जवानों ने भारतीय सैनिकों पर धोखे से हमला कर दिया था। इस हमले में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए जबकि चीन के 40 से ज्यादा सैनिकों की मारे जाने की खबर है। हालांकि, चीन ने अब तक मारे गए अपने सैनिकों की संख्या की पुष्टि नहीं की है। इस हिंसक झड़प के बाद भारत ने एलएसी पर चीन के प्रति अपने रवैये में बड़ा बदलाव करते हुए कई रणनीतिक चोटियों पर कब्जा कर लिया।

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