नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में कई महीने से जारी गतिरोध अब खत्म होने की ओर बढ़ रहा है। पैंगोंग सो लेक इलाके से भारत और चीनी सेनाएं पीछे हटने लगी हैं। सूत्रों की माने इस हफ्ते के आखिरी तक पैंगोंग सो इलाके को पूरी तरह से खाली करा लिया जाएगा। दोनों देशों के बीच तय समझौते के अनुसार भारतीय सेना फिंगर-3 तक पीछे हटेगी और चीनी सेना को फिंगर 8 तक पीछे हटना है।

तम्बू उखाड़ कर वापस भी लौटने लगी

इस इलाके से चीनी सेना अपने बंकर और तम्बू उखाड़ कर वापस भी लौटने लगी है। सेना के सूत्रों ने बताया कि सोमवार को चीन सेना ने लेक के उत्तरी हिस्से को पूरी तरह से करीब-करीब खाली कर दिया है। वहां बनाई गई जेट्टी, हेलीपेड तथा कुछ अन्य ढांचों को भी नष्ट कर दिया गया। जबकि पहले ही टैंक पीछे हट चुके हैं। 11 फरवरी को संसद में दिए अपने बयान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि झील के दोनों किनारों पर अप्रैल 2020 के बाद दोनों पक्षों ने संरचनाओं का निर्माण किया था। पीएलए ने बंकर, पिलबॉक्स, कैंप तैयार किए थे।

ड्रैगन के साथ हुए समझौते में भारत ने कुछ भी नहीं खोया है

उन्होंने कहा था कि ड्रैगन के साथ हुए समझौते में भारत ने कुछ भी नहीं खोया है। भारत और चीन ने बड़ी संख्या में युद्धक टैंक, बख्तरबंद वाहन और पूर्वी लद्दाख क्षेत्र के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारी वाहनों की तैनाती की थी। इसके बाद पिछले जून में गालवान घाटी में हुए एक हिंसक झड़प के बाद तनाव बढ़ गया था। गालवान घाटी में 15 जून को हुए झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। चीन अभी तक संघर्ष में मारे गए और घायल हुए अपने सैनिकों की संख्या का खुलासा नहीं किया, हालांकि उसने आधिकारिक तौर पर हताहत होने की बात स्वीकार की था। एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन के 35 सैनिक मारे गए थे।

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