चने के खेत से तिवड़ा के पौधे नष्ट करायें

जबलपुर। जिले में चना उपार्जन के लिए २५ फरवरी तक पंजीयन कराया जा सकता है। लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से तिवड़ायुक्त चना नहीं खरीदा जायेगा।
कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने खेसरी या तिवड़ा प्रभावित ग्रामों में सघन निरीक्षण एवं सलाह हेतु कृषि विभाग के मैदानी अमले को लक्ष्य निर्धारित करने एवं अनुविभाग स्तर पर जनप्रतिनिधियों के साथ कृषकों की बैठक आयोजित करने हेतु निर्देशित किया है। किसानों से आग्रह किया गया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तिवड़ायुक्त चना नहीं खरीदा जायेगा। इसलिए किसान भाई इस समस्या से बचने के लिए अभियान चलाकर खड़ी फसल में ही तिवड़ा के पौधे निकालकर नष्ट कर दें। विगत वर्ष २०१९-२० में चना उपार्जन के समय कुछ जिलों में तिवड़ा मिश्रित चना उपार्जन केन्द्रों पर आने की समस्या आई थी।

जिलों के कलेक्टर्स ने वीडियो कांप्रेस के माध्यम से समीक्षा की

इसे दृष्टिगत रखते हुए राज्य के ८ जिलों में कृषकों को तिवड़ा रहित चना बीज राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजनांतर्गत उपलब्ध कराया गया था। इसी संबंध में कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में खेसरी को हतोत्साहित करने राज्य स्तर पर चलाये जा रहे कार्यकम की समीक्षा हेतु बुधवार को खेसरी प्रभावित जिलों के कलेक्टर्स, उप संचालक कृषि तथा उपार्जन एजेंसी के प्रतिनिधियों की वीडियो कांप्रेस के माध्यम से समीक्षा की गई। चने एवं मसूर के खेत में तिवड़े के पौधे को अलग से ही पहचाना जा सकता है जिसे जंगली मटर, खेसरी दाल एवं तिवड़ा कहा जाता है। कभी-कभी तिवड़े का बीज मिट्टी में ही पड़ा रहता है एवं चने की फसल के साथ उग आता है।

पौधे दिखाई दें उन्हें उखाड़कर नष्ट कर दें

किसान अपनी फसल का निरीक्षण करते रहे जैसे ही तिवड़ा के पौधे दिखाई दें उन्हें उखाड़कर नष्ट कर दें। तिवड़ा के पौधों को उगने से लेकर फल्ली बनने की अवस्था के पूर्व उखाड़कर खेत से अलग कर देना चाहिए क्योंकि तिवड़ा की फल्ली पकने पर चटक जाती है जिससे बीज मिट्टी में मिल जाता है जो कि अगले वर्ष की फसल में फिर ऊग सकता है। तिवड़ा का पौधा उखाड़कर पशुओं को भी खिलाया जा सकता है। चने की कटाई के पूर्व निश्चित रूप से तिवड़ा अलग कर दें क्योंकि गहाई के पश्चात एक बार चना फसल में तिवड़ा मिलने पर उसे अलग करना मुश्किल होता है यह ग्रेडिंग में अलग नहीं हो पाता।

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