ग्वालियर । रंगों का पर्व होली का त्यौहार नजदीक आते ही लोगों ने पर्व की तैयारियां प्रारंभ कर दी है। इस बार होलिका दहन २८ मार्च रविवार को होगा। २९ मार्च सोमवार को लोग एक दूसरे को रंगों में सराबोर करेंगे। इस बार होलिका पूजन विशेष फलदायी होगा। कारण होलिका दहन के दौरान सर्वार्थ सिद्धि व अमृत सिद्धि योग है। होलिका दहन पर भद्रा का भी साया नहीं रहेगा। कारण २८ मार्च को दोपहर १.५० बजे तक ही भद्रा है। ऐसे में लोग प्रदोष काल यानि शाम ढलने के साथ ही होलिका दहन कर सकेंगे। ज्योतिष के अनुसार २८ मार्च शाम ६ बजे तक उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र है। इसके बाद हस्त नक्षत्र आ जाएगा। हस्त नक्षत्र में होलिका दहन करना अति शुभ माना जाता हैं। ऐसे में लोग शाम ६.३० बजे से रात्रि ८.४५ बजे तक अगर होलिका पूजन व दहन करते है तो यह विशेष फलदायी होगा। चूंकि २८ मार्च को पूर्णिमा तिथि रात्रि १२.१५ बजे तक है। ऐसे में लोग रात्रि १२.१५ बजे तक भी होलिका दहन कर सकते हैं। होलिका दहन के दिन शुक्र उच्च राशि मीन में सूर्य के साथ, शनि अपने स्वयं के घर मकर तथा गुरु अपनी नीच राशि मकर में रहेंगे। इन सभी योग से होलिका दहन के साथ ही देश को कोरोना महामारी से छुटकारा मिल सकता है। सत्ता पक्ष का प्रभाव बढ़ेगा। लेकिन आगजनी की घटनाएं बढ़ सकती है। कारण राहु व मंगल का शुक्र की राशि में अंगारक योग बना है। उग्र दिन माने जाने वाले रविवार को होलिका दहन है। इसलिए आगजनी के साथ दुर्घटनाओं की वृद्धि की संंभावना रहेगी।
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