अविनाश भगत: रियासत जम्मू कश्मीर के संघ शासित के रूप में बांटे जाने के बाद उसके अमल में लाए जाने को लेकर अब चंद दिन शेष बचे हैं। जिसे लेकर राज्य का मौजूदा शासन बेहद सक्रिय दिखाई दे रहा है। दरअसल, जम्मू कश्मीरी को बीते 5 अगस्त को देश की संसद में मोदी सकरार ने भारी बहुमत के साथ दो हिस्सों में नये स्वरूप में देने का फैसला किया। इसी दिन रियासत से विवादित धारा 370 व अनुच्छेद 35ए को हटाने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया। मोदी सरकार ने यह भी फैसला किया कि रियासत जम्मू कश्मीर को जम्मू कश्मीर संघ शासित प्रदेश तथा लद्दाख को संघ शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया। यह दोनों संघ शासित प्रदेश अगामी 31 अक्तूबर को अमल में आ जाऐंगे। जिसे लेकर राज्यपाल सत्यपाल मलिक के नेतृत्व में राज्य प्रशासनिक दिन रात काम में जुटी है। मौजूदा शासन घाटी में हालात सामान्य करने की दिशा में लगातार कदम उठा रहा है। जिसके तहत इस्तेहार निकलवाने से लेकर घाटी में लगाई गई पाबंदियों को भी एक एक करके हटाया जा रहा है।
फल उत्पादक तथा पर्यटन उद्योग बुरी तरह से प्रभावित
दरअसल, सरकार के इस साहासिक एवं एतिहासिक कदम के बाद घाटी में कईं प्रकार की चुनौतियां खडी हो गईं। जिसको पहले ही भांपते हुए केंद्र की मोदी सरकार व सूबे में लागू राज्यपाल शासन ने कईं ऐहतियाती कदम उठाए। केंद्र सरकार की ओर से जहां भारी संख्या में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की कंपनियां घाटी भेजीं गईं। वहीं राज्यपाल सत्यपाल मलिक के नेतृत्व में राज्य प्रशासनिक परिषद ने कानून व्यावस्था तथा सुरक्षा की दृष्टि से धारा 144, लैंड लाईन सेवा व मोबाईल सेवा के अलावा सभी प्रकार की इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी। जिसके कारण घाटी के लोगों को तमाम तरह की दुश्वारियों का सामना करने को मजबूर होना पड़ा। इससे सर्वाधिक फल उत्पादक तथा पर्यटन उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ।
कश्मीरियों को जगाने के लिए स्थानीय अखबारों में छपे सरकारी इस्तेहार
बता दें कि, सूबे के शासन की ओर से राज्य में धारा 370 व अनुच्छेद 35ए को खत्म किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले की रोशनी में इन धाराआंे के खत्म किए जाने के लाभ की बावत यहां आम लोगों को जानकारी देने के लिए बीते अगस्त माह के अंतिम सप्ताह में करीब-करीब सभी स्थानीय अखबारों में सरकारी इस्तेहार भी छपवाए। ताकि लोगों को इन धाराओं के टूटने से होने वाले लाभों की जानकारी दी जा सके। बीते कल फिर सूबे के शासन की ओर से फिर एक और इस्तेहार स्थानीय अखबारों में प्रकाशित हुए। जिसमें घाटी के आवाम से कहा गया कि यहां दुकाने बंद तथा सार्वजनिक परिवहन सेवा के बंद रहने का लाभ किसे है। क्या हम इन सबसे आतंकवादियों के सामने झुक तो नहीं रहे। यह सवाल कश्मीरियों को जगाने के लिए किए गए हैं।
एक-एक करके बंदिशों को हटाने में लगी सरकार
चुूंकि अब संघ शासित प्रदेश को अमल में लाने के लिए के दर्जे को अमल में लाने में ज्यादा समय नहीं बचा है। इसीलिए अब यहां शासन एक-एक करके लगी तमाम बंदिशों को हटाने में लगा है। वहीं अब राज्य के अफसरों व कर्मचारियों से पूछा जा रहा है कि वह जम्मू कश्मीर अथवा फिर लद्दाख कौने से संघ शासित प्रदेश में नौकरी के लिए जाना चाहते हैं। इस संबंध में एक सर्कुलर भी जारी किया गया है। मालूम हो कि सूबे छोटे बड़े हर प्रकार के करीब 5 लाख मुलाजिम हैं जोकि राज्य, मंडल तथा जिला स्तर पर कार्यरत हैं।
पोस्टपेड मोबाईल सेवा होगी बहाल
वहीं इस बीच आज सूत्रों के हवाले से यह भी खबर आई कि राज्य शासन घाटी में पोस्टपेड मोबाईल सेवा को बहाल करने जा रहा है। जोकि अगामी सोमवार किए जाने की प्रबल संभावना है। घाटी में मौजूदा वक्त में करीब 40 लाख पोस्टपेड़ तथा 26 लाख प्रीपेड मोबाइल कनेक्शन बताए गए हैं। इससे पहले राज्य शासन की ओर से गत 17 अगस्त को घाटी में लैंडलाइन सेवा को बहाल किए जाने की बात कही गई थी। लेकिन 4 सितंबर को घाटी में सभी जगह यह टेलीफोन बहाल कर दिए गए। लेकिन हैरत की यह भी बात है कि घाटी में इन प्रतिबंधों को लगे 69वां दिन है, लेकिन मोबाईल इंटरनेट सेवा कब बहाल की जाऐगी इसका किसी को भी कुछ पता नहीं है। जम्मू जोकि 100 फीसदी शांत एंव सामान्य स्थिति वाला संभाग है वहां भी अभी मोबाईल इंटरनेट सेवा बंद पड़ी है। लेकिन इस बीच शासन की ओर से पोस्टपेड़ मोबाईल सेवा बहाल करने तथा चुनिदा जगहों पर ब्राडबैंड सेवा बहाल करने की खबरों के साथ यहां के पर्यटन उद्योग से जुडे लोगों के चेहरों पर खुशी लौटती दिखाई देती है।