जीएसआई के दल ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट शासन को सौंपी
भोपाल। प्रदेश के उज्जैन शहर स्थित शिप्रा नदी के त्रिवेणी घाट क्षेत्र में हो रहे धमाके प्राकृतिक गैस के ऑक्सीजन के संपर्क में आने से हो रहे हैं। यह कहा गया है धमाकों की जांच करने आए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) के दल का। इस जांच दल ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में संभावना जताई गई है कि नदी की चट्टानों से मीथेन-इथेन जैसी ज्वलनशील गैसों के उत्सर्जन के कारण धमाके हो रहे हैं। विशेषज्ञों ने यह भी उल्लेख किया है कि नदी के तट पर निर्माल्य (भगवान को चढ़ाए जाने वाले फूल-हार) के इकट्ठा होने और इनसे बनने वाली प्राकृतिक गैस के ऑक्सीजन के संपर्क में आने से भी धमाके हो सकते हैं। हालांकि यह रिपोर्ट अंतिम नहीं है।
पानी और मिट्टी के नमूनों की जांच भी कर रही है। इसके बाद
जीएसआई पानी और मिट्टी के नमूनों की जांच भी कर रही है। इसके बाद स्थिति और स्पष्ट होगी। गौरतलब है कि शिप्रा के त्रिवेणी घाट क्षेत्र में बीते कुछ दिनों से धमाके हो रहे हैं। ग्रामीणों ने सबसे पहले 28 फरवरी को धमाके की आवाज सुनी थी। इसके बाद स्थानीय प्रशासन को इसकी सूचना दी गई। अधिकारियों ने मौके पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) के कर्मचारियों को तैनात किया था। पांच मार्च की शाम को एक बार फिर धमाके हुए। इसका वीडियो भी ग्रामीणों ने बनाया था। इसके बाद कलेक्टर आशीष सिंह ने जीएसआई और तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) को ई-मेल कर जांच करने को कहा था। आठ मार्च को भोपाल से जीएसआई के दल ने उज्जैन आकर जांच की थी।
पानी के नमूने लिए गए थे। त्रिवेणी क्षेत्र में प्राचीन शनि मंदिर स्थित
नदी से मिट्टी, गाद और पानी के नमूने लिए गए थे। त्रिवेणी क्षेत्र में प्राचीन शनि मंदिर स्थित है। घाट होने के कारण यहां भक्त निर्माल्य नदी में ही फेंक देते हैं। यहां पास में बांध होने से पानी ठहरा हुआ है। जीएसआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि ठहरे हुए पानी में निर्माल्य के इकट्ठा होने से प्राकृतिक गैस बनती है। गैस के ऑक्सीजन के संपर्क में आने से भी चिंगारियां निकलने और धमाके होने जैसी घटनाएं संभव हैं। जीएसआई के दल में शामिल वरिष्ठ भूविज्ञानी अरुण कुमार और अन्य विशेषज्ञों ने उज्जैन जिला प्रशासन को कुछ सुझाव भी दिए हैं। उन्होंने कहा है कि त्रिवेणी घाट क्षेत्र में निर्माल्य फेंकने पर रोक लगाई जानी चाहिए। इस क्षेत्र की नियमित सफाई भी कराई जानी चाहिए। धमाके की घटनाओं पर लगातार निगरानी भी जरूरी है। उधर ओएनजीसी का दल भी जांच के लिए उज्जैन पहुंच सकता है। यह गैस उत्सर्जन जैसे बिंदुओं पर बारीकी से पड़ताल करेगा।
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