राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 34वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड क्राफट मेले के किया उद्घाटन

अनूप चौधरी

सूरजकुंड, 1 फरवरी।

विश्व प्रसिद्ध फरीदाबाद के सूरजकुंड मेले में शनिवार को एक और इतिहास जुड़ गया जब भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 34वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड क्राफट मेले के उद्घाटन अवसर पर थीम राज्य हिमाचल प्रदेश व हरियाणा सरकार को मेले के आयोजन के लिए किए गए प्रबंधों की तारीफ की।राष्ट्रपति ने सूरजकुंड अंतराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में पहुंचने वाले सभी 26 देशों व देश के राज्यों से आए हस्तशिल्पियों, कलाकारों को बधाई देते हुए कहा कि भारत त्यौहारों व मेलों का देश है। सूरजकुंड का यह मेला भारत के लोगों के कला-कौशल, प्रतिभा और उद्यमशीलता के प्रदर्शन का एक स्थापित मंच बन गया है।

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि साल 1987 में इस मेले का पहली बार आयोजन किया गया था। आज यह मेला विलुप्त हो रहे हस्तशिल्प और हथकरघा की विशेष कला-विधाओं को संरक्षित करने और बढ़ावा देने तथा कारीगरों को उनके काम को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से उचित मंच बन गया है। पिछले तैतीस वर्षों से निरन्तर, इस मेले में आगंतुकों और शिल्पकारों की संख्या बढ़ती गई है। इस मेले की बढ़ती लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि यह मेला वास्तव में भारत के हस्तशिल्प, हथकरघा और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की विविधता को उपयोगी व रोचक तरीके से प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि यह मेला केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करता है।

भारत की सांस्कृतिक विरासत का जिक्र करते हुए महामहिम कोविंद ने कहा कि भारत त्योहारों और मेलों का देश है। इस मेले में शिल्पकारों और हथकरघा कारीगरों के अलावा विविध अंचलों के पहनावों, लोक-कलाओं, लोक-व्यंजनों, लोक-संगीत और लोक-नृत्यों का भी संगम होता है। उन्होंने कहा कि इस मेले में भारत के गांवों की खुशबू और हमारी समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा के विविध रंग, यहां आने वालों को हमेशा आकर्षित करते रहेंगे।

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि हर साल मेले में भारत का कोई एक राज्य थीम राज्य और कोई एक देश ‘सहयोगी देश’ होता है। किसी एक राज्य को थीम बना कर उसकी कला, संस्कृति, सामाजिक परिवेश और परंपराओं को यहां प्रदर्शित किया जाता है। इस साल हिमाचल प्रदेश थीम राज्य और उज्बेकिस्तान ‘सहयोगी देश’ है। इस मेले में देवभूमि हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक कला को विशेष रुप से दर्शाया जा रहा है।

वहीं सहयोगी देश उज्बेकिस्तान के बारे में जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी भौगोलिक सीमा नहीं मिलती लेकिन हमारे बीच दिलों के रिश्ते हमेशा से रहे हैं और आशा है कि भविष्य में भी यह और अधिक सुदृढ़ होंगे। उन्होंने कहा कि यह मेला भारत व उज्बेकिस्तान के लोगों के बीच संस्कृति, कला एवं कृषि के क्षेत्र में मजबूत साझेदारी प्रस्तुत करेगा। थीम राज्य हिमाचल प्रदेश व हरियाणा के सूरजकुंड मेले को पर्यटकों को आकर्षित करने का मंच बताते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में इन त्योहारों और मेलों ने देश और विदेश के पर्यटकों को आकर्षित किया है। भारत के सभी त्योहार और मेले हमारी सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और पारंपरिक उल्लास के प्रतीक तो हैं ही, इनका हमारी अर्थव्यवस्था से भी गहरा सम्बन्ध है। क्योंकि ऐसे मेलों में शिल्पकारों और बुनकरों की उत्साही भागीदारी को देखकर साधारण शिल्पकारों और कारीगरों को भी अपने हुनर की वास्तविक पहचान और कीमत मिल पाती है। यह मेला उन्हें अपने उत्पादों को सीधे ग्राहकों को प्रदर्शित करने और बेचने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है। इस मेले ने भारत की विभिन्न लुभावनी शिल्प परंपराओं को विलुप्त होने से भी बचाया है। अनेक शिल्पकारों, कारीगरों और बुनकरों के लिए यह मेला साल भर की उनकी आय का प्रमुख स्रोत होता है।

मेले की विशेषता बताते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि यह मेला कई मायनों में अलग है। परांपरागत झोपड़ीनुमा दुकान ग्रामीण भारत को दर्शाती है। वहीं ग्राहकों द्वारा किया जा रहा डिजिटल पेमेंट नये भारत की एक तस्वीर प्रस्तुत करता है। उन्होंने मेला के मोबाइल एप्लिकेशन, अन्य डिजिटल प्लेटफार्म और ऑनलाइन टिकटिंग सुविधाओं की व्यवस्था की भी सराहना की।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष हम राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की 150वीं जयन्ती मना रहे है। देश और दुनिया में उनके अमूल्य विचारों को पहुंचाने का यह एक स्वर्णिम अवसर है। सूरजकुण्ड मेला को देखने लाखों लोग आयेंगे। स्वच्छता, खादी-उत्पादों और हथकरघा से बनी वस्तुओं के प्रसार के लिए हम गांधी जी के संदेश को इस मेले में आसानी से लाखों लोगों तक पहुंचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे मेले आर्थिक आत्मनिर्भरता में भी योगदान देते हैं। हम सबको देश के शिल्पकारों द्वारा बनाई गई वस्तुओं पर गर्व करना होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि मैनें कल संसद के बजट सत्र के शुभारंभ पर दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा था कि ‘उज्ज्वल कल के लिए लोकल’ का मूल मंत्र हमें अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसद में दिए गए अपने इस आग्रह को मैं पुन: दोहराता हूं कि पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक, देश के प्रत्येक जनप्रतिनिधि को और सभी राज्य सरकारों द्वारा ‘उज्ज्वल कल के लिए लोकल’ को एक आंदोलन में परिवर्तित किया जाए। स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देकर हम सभी अपने क्षेत्र के शिल्पकारों तथा लघु उद्यमियों की बहुत बड़ी मदद दे सकते हैं।

राष्ट्रपति ने स्कूली बच्चों की मेले में नि:शुल्क प्रवेश की दी गई सुविधा के लिए मेला प्राधिकरण के अधिकारियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि इससे बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे और युवा इस मेले को देखने आ सकेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की विभिन्न जन-कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से अल्प-संख्यक वर्ग के युवाओं, विशेषकर महिलाओं, को स्वावलंबी बनाने के लिए हुनर और रोजगार के अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। उनमें से एक ‘हुनर हाट’ दस्तकारों, शिल्पकारों व खानसामों को रोजगार के अवसर मुहैया कराने का एक मजबूत अभियान साबित हुआ है। देशभर में हुनर हाट के जरिए अल्पसंख्यक वर्ग के 2 लाख 65 हजार हुनरमंद कारीगरों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए हैं। इस मेले की सफलता का उद्देश्य भी यही है। इस आयोजन के लिए राष्ट्रपति ने हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को बधाई दी और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी राज्य की प्रभावशाली प्रगति के लिए बधाई के हकदार हैं। इस साल, इस मेले में, हिमाचल प्रदेश द्वारा दूसरी बार भागीदारी करना, इस मेले की उपयोगिता के साथ ही, हिमाचल प्रदेश की लोकप्रियता को भी रेखांकित करता है। इस मौके पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने राष्ट्रपति को स्मृति चिह्न भेंट किए।

इससे पहले पर्यटन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव व सूरजकुंड मेला प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विजय वर्धन ने अपने स्वागत संबोधन में सूरजकुंड मेले के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1987 से आरंभ हुआ सूरजकुंड का यह क्राफट मेला 2013 में अंतरराष्ट्रीय क्राफट मेला घोषित किया गया था। उसके बाद हर वर्ष एक राज्य थीम स्टेट व एक देश थीम नेशन के रूप में भाग लेता है। उन्होंने कहा कि मेले में 40 देशों शिल्पकार व कलाकार हिस्सा ले रहे हैं। यूनाईटेड किंगडम पहली बार यहां अपनी सांस्कृतिक टीमें भेज रहा है। उन्होंने कहा कि संस्कृति सुषमा का यह मंच कलाकारों को एक बेहतर- अवसर प्रदान करता है।

इस अवसर पर उज्बेकिस्तान व हिमाचल प्रदेश के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुती से सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम में हरियाणा के प्रर्यटन मंत्री कंवर पाल, परिवहन मंत्री मूल चंद शर्मा, सहकारिता मंत्री डा. बनवारी लाल, पुरातत्व एवं संग्रहालय मंत्री अनूप धानक, हरियाणा की मुख्य सचिव केसनी आनंद अरोड़ा, केंद्रीय पर्यटन सचिव एवं सूरजकुंड मेला प्राधिकरण के अध्यक्ष योगेंद्र त्रिपाठी, राष्ट्रपति के सचिव संजय कोठारी, हरियाणा पर्यटन विकास निगम के चेयरमैन रणधीर सिंह गोलन, वेयर हाउस कार्पोरेशन के चेयरमैन नयन पाल रावत, पशुधन विकास बोर्ड के चेयरमैन सोमवीर सांगवान, हैफेड के चेयरमैन सुभाष कत्याल, हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन संदीप जोशी, विधायक सीमा त्रिखा, मंडलायुकत संजय जून, नगर निगम आयुकत यश गर्ग, डीसी यशपाल, पुलिस आयुक्त के.के. राव, हरियाणा पर्यटन विभाग के प्रबंध निदेशक विकास यादव, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार अमित आर्य, मुख्यमंत्री के राजनैतिक सचिव अजय गौड सहित सैकड़ों गणमान्य लोग उपस्थित थे।

Previous articleकैट ने केंद्रीय बजट का स्वागत किया – बजट आय एवं क्रय शक्ति को बढ़ायेगा
Next article2 फरवरी 2020

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here