अविनाश भगत : कश्मीर का पर्यटन विभाग घाटी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कवायद में लग गया है। जिसके लिए विभाग की ओर से पुणे तथा कोलकता जैसे बड़े शहरों में विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए वहां के पर्यटकों को घाटी के लिए आकर्षित किया जा रहा है।
पर्यटन उद्योग पर पड़ा दुष्प्रभाव
यह बात कश्मीर पर्यटन विभाग के निदेशक निसार अहमद वाणी ने कही है। बता दें कि, बीती 2 अगस्त को जब राज्य के गृह विभाग ने घाटी में मौजूद सभी पर्यटकों को कश्मीर छोड़ देने की सलाह दी थी, उसके बाद 5 अगस्त को यहां से धारा 370 व अनुच्छेद 35ए को हटाने का फैसला लिया गया था। जिसके कारण घाटी में सभी प्रकार के पर्यटकों की आमद रूक सी गई थी। चूंकि इसी बीच घाटी में ऐहतियात के तौर पर सभी तरह के संचार प्रतिबंध व धारा 144 लगाई गई थी। जिसका यहां के पर्यटन उद्योग पर खासा दुष्प्रभाव पड़ा।
पर्यटन स्थलों पर सन्नाटा
मशहूर डलझील हो, या फिर पहलगाम अथवा गुलमर्ग पर्यटकों की भीड़ से भरे रहने वाले पर्यटन स्थल में सभी जगह सन्नाटा और मायूसी पसर गई है, जिसका असर आज भी बना हुआ है। पर्यटन से जुड़े सैंकड़ो होटल व लाॅज भी खाली पडे़ हैं। ऐसी स्थिति में घाटी में पर्यटन उद्योग में फिर से नई जान फूंकने की कोशिशें शुरू हुई हैं। अब जबकि जम्मू-कश्मीर एक राज्य से संघ शासित प्रदेश में तब्दील हो चुका है, ऐसे में पर्यटन विभाग अब यहां के पर्यटन स्थलों को फिर से रौनकभरा बनाना चाहता है।
पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रयास जारी
पर्यटन विभाग के मुताबिक अब कोशिश सर्दी- पर्यटन को बढ़ावा देने की है। जिसके लिए वह एक रणनीति के तहत ठोस कदम उठाने में लगा है। ताकि देश के विभिन्न हिस्सों से आकर पर्यटक घाटी में पर्यटन स्थलों के अलावा यहां की बर्फबारी का भी लुत्फ उठा सकें। बता दें कि, घाटी की आर्थिक स्थिति यहां के बागवानी उद्योग के अलावा पर्यटन उद्योग पर टिकी है, जिसे हाल के महीनों में भारी धक्का लगा है।