ओडिशा की घटना से मप्र ने लिया सबक

भोपाल। मध्यप्रदेश से बाघ मांगने वाले राज्यों को पहले यह बताना होगा ‎कि उनके यहां पर बाघ रखने के इंतजाम क्या है। राज्य सरकार ने यह ‎निर्णय ओडिशा की घटना से सबक लेते हुए लिया है। प्रदेश सरकार को अन्य राज्यों को बाघ देने पर आपत्ति नहीं है, पर बाघ लेने के इच्छुक राज्यों को पहले बताना होगा कि बाघों के लिए उनके इंतजाम पर्याप्त हैं या नहीं। गोवा सरकार ने प्रदेश से बाघ मांगे हैं। इस पर दोनों राज्यों के बीच सैद्धांतिक सहमति भी बन गई है, पर अंतिम निर्णय मौका-मुआयना करने के बाद ही होगा। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राध‍िकरण (एनटीसीए) और मध्य प्रदेश के वन अध‍िकारियों का दल गोवा जाएगा और यह देखेगा कि वहां बाघ के लिए अनुकूल वातावरण है या नहीं।

बाघ कब और कितने भेजे जाएंगे

इस रिपोर्ट के आधार पर तय होगा कि बाघ कब और कितने भेजे जाएंगे। ये बाघ एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दिए जा रहे हैं।इसके बदले गोवा से बाइसन (गौर) लाए जाएंगे, जो सतना जिले के मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी में रखे जाएंगे। प्रदेश से चार दशक पहले बाइसन लुप्त हो चुके हैं। गोवा में बाघों के लिए इंतजामों की मैदानी जानकारी जुटाने के लिए एनटीसीए-मध्य प्रदेश वन विभाग के अध‍िकार‍ियों की टीम अगले महीने गोवा जाएगी।यह टीम वहां उस जगह का भी निरीक्षण करेगी जहां बाघों को रखा जाना है। उस जगह पर विशेषकर यह देखा जाएगा कि वहां बाघों की सुरक्षा, खाने और पानी के पर्याप्त इंतजाम हैं या नहीं। यदि बाघों के लिए चयनित क्षेत्र में शाकाहारी वन्य प्राणियों की संख्या कम हुई, तो यह प्रस्ताव कुछ समय के लिए रोका भी जा सकता है क्योंकि बाघों की जीवन शाकाहारी वन्य प्राणियों पर ही टिका है।

बाघ महावीर और बाघिन सुंदरी ओडिशा के

वे उनके लिए सुरक्षित भोजन हैं। मालूम हो ‎कि वर्ष 2019 में मध्य प्रदेश से बाघ महावीर और बाघिन सुंदरी ओडिशा के सतकोशिया टाइगर रिजर्व भेजे गए थे। दोनों को भेजने से पहले एनटीसीए की टीम ने रिजर्व का दौरा भी किया था, फिर भी पार्क में खाने की कमी की बात सामने नहीं आई थी। पार्क में छोड़े गए बाघ-बाघिन भोजन की तलाश में बस्ती के नजदीक पहुंच गए, तो अज्ञात लोगों ने बाघ को मार दिया, जबकि बाघिन तीन लोगों पर हमला करने के बाद से नंदनकानन नेशनल पार्क के एक पिंजरे में बंदी का जीवन गुजार रही है। जिसे अब वापस लाने की प्रयास चल रहे हैं। राज्य सरकार इस बात को लेकर ‎चिं‎तित है ‎कि कहीं ऐसे हालात दोबारा ना बन जाए।

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