महामारी कोरोना के इलाज के लिए हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) के ट्रायल को स्थगित करने का विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का फैसला भारत को पसंद नहीं आया। वैसे तो भारत ने डब्ल्यूएचओ के फैसले पर औपचारिक रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन इतना जरूर साफ कर दिया कि एचसीक्यू पूरी तरह सुरक्षित है और वह इसका ट्रायल जारी रखेगा। ध्यान देने की बात है कि डब्ल्यूएचओ ने एचसीक्यू को दुष्प्रभाव की रिपोर्ट को देखते हुए ही इसके ट्रायल को स्थगित करने का फैसला किया था।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि डब्ल्यूएचओ का नाम लिये बिना आइसीएमआर के महानिदेशक डाक्टर बलराम भार्गव ने एचसीक्यू के जानलेवा होने की आशंकाओं को सिरे से खारिज कर दिया। डाक्टर भार्गव ने कहा कि क्लोरोक्वीन बहुत ही पुरानी दवा है, जिसे हम पीढियों से हम लेते आए हैं। यहां कि पुराने समय में डाक विभाग के अंतरदेर्शीय पत्र के ऊपर मलेरिया से बचने के लिए इसे खाने की सलाह दी जाती थी और साथ ही उसके खाने की विधि भी लिखी होती थी। उन्होंने कहा कि मलेरिया के लिए इसका व्यापक रूप से इस्तेमाल आज भी हो रहा है और किसी बड़े साइड-इफेक्ट की शिकायत कभी नहीं आई। उन्होंने कहा कि यदि स्वास्थ्य पर इसका इतना अधिक दुष्प्रभाव होता, तो आठ दशक से इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा होता। यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वीन तो क्लोरोक्वीन से भी ज्यादा सुरक्षित है।
इसके अलावा कोरोना के संक्रमण को रोकने में एचसीक्यू की उपयोगिता के बारे में बताते हुए डाक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि मलेरिया को रोकने में इसकी व्यापक सफलता को देखते हुए इसके एंटी वायरल होने की बायोलॉजकिल पाजिवलिटी की उम्मीद जताई गई और इसके लिए दुनिया के भर के लेबोरेटरी में प्रयोग किये गए। दुनिया के कई प्रसिद्ध विज्ञान जनरल में इन स्टडी से जुड़े पेपर छपे हुए हैं और कुछ भी छुपा नहीं है। हाल ही में पुणे स्थिति नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में एचसीक्यू का कोरोना के वायरस पर जांच की गई, जिसमें इसे कोरोना वायरस की संख्या को बढ़ने से रोकने में काफी हद तक कारगर पाया गया।