मदरलैंड संवाददाता, अररिया
अररिया – कोरोना संक्रमण व इसके चलते लागू लॉकडाउन ने जिन व्यवसाय को सबसे अधिक प्रभावित किया है उनमें दवा कारोबार का प्रमुख स्थान है। शहर में गिनती के कुछ बड़े कारोबारियों को छोड़ दें तो आम दवा दुकानों की बिक्री 70 से 80 प्रतिशत तक घट गई है।
कारोबार की मंदी का अंदाजा इस बात से बखूबी लगाया जा सकता है कि सदर अस्पताल के सामने स्थित दवा की दर्जनों छोटी बड़ी दुकानें हैं। आम दिनों में यहां खरीदारों की भीड़ लगी रहती थी। पर अब ये आलम है कि दिन भर में कुछ दर्जन ग्राहक भी दवा दुकानों का रुख नहीं करते। कहा तो यहां तक जा रहा है कि कारोबार इस हद तक ठप है कि कुछ छोटे दवा दुकान दिन भर यूं खाली बैठे रह जाते हैं, बोहनी तक नहीं होती। बाजार सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शहर में दवा की 200 से अधिक दुकाने हैं। इनमें थोक व खुदरा दोनों है। एक अनुमान के मुताबिक शहर में प्रतिदिन दवा का 50 लाख से अधिक का कारोबार हुआ करता था। लेकिन अब औसतन 50 से 60 प्रतिशत तक कि गिरावट आ गई है। न्यू हेल्थ केअर के कैसर आलम बताते हैं कि बिक्री घट कर लगभग 25 प्रतिशत रह गई है। निकट के एक नर्सिंग होम में सप्ताह में बैठने वाले एक डॉक्टर का आना भी बंद हो चुका है। इस वजह कर सेल और अधिक प्रभावित हो गया है। बिक्त्री में गिरावट की पुष्टि करते हुए नजीर मेडिकल हॉल के मालिक सैयद फिरोज अहमद ने बताया कि उनकी दवा की दुकान से एक महिला चिकित्सक का निजी क्लीनिक अटैच है। उनकी प्रैक्टिस चल रही है। इसके बावजूद बिक्री में 50 प्रतिशत तक कमी आ गई है। जनता मेडिकल हॉल के मालिक शाबिरुल हक कहते हैं कि जो बड़े दुकानदार मेल लगाने में सफल हो रहे हैं वो भी 50 प्रतिशत तक ही कारोबार कर पा रहे हैं। छोटे दुकानदारों की तो आफत है। लॉकडाउन के कारण दवा व्यवसाय पर पड़ने वाले प्रभाव की पुष्टि करते हुए अररिया केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सैयद उजैर अहमद कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों का आना जाना लगभग बंद है। अधिकांश डॉक्टरों का निजी क्लिनिक भी बंद है। सुरक्षा कारणों से डॉक्टर रोगी देखने से परहेज कर रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में नए प्रि्क्रिरप्शन नहीं आ रहे। मुख्य रूप से दवा दुकानों में वे ग्राहक ही आ रहे हैं जो लंबे अवधि से कुछ दवा नियमित रूप से ले रहे है। श्री अहमद भी मानते हैं कि दवा के बड़े कारोबारियों की बिक्त्री भी 40 से 50 प्रतिशत तक घट गई है। वहीं बताया गया कि दवा की आपूर्ति भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। आने जाने की बंदिश को लेकर पूर्णिया, कटिहार व फारबिसगंज आदि से सप्लाई बाधित है। नौबत यहां तक पहुंच गई है कि कुछ बड़े व्यवसाई खुद का खर्च कर पूर्णिया व कटिहार आदि से दवा मंगवा रहे है। लेकिन छोटे दुकानदार इतने भाग दौड़ का सामर्थ्य नहीं रखते हैं। कुछ दुकानदारों ने बताया कि लॉकडाउन की सख्ती की वजह से कारोबार का नियमित संचालन भी एक समस्या बनती जा रही है। पास के बावजूद दुकान स्टाफ को आने जाने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे ही एक पीड़ित दुकानदार ने बताया कि उनके स्टाफ का दो बार चालान कट चुका है। उन्हें दो हजार रुपया भरना पड़ा है। संघ के अध्यक्ष श्री अहमद कहते हैं कि दवा दुकानों में काम करने वाले सभी स्टाफ लोकल नहीं हैं। कोई तीन तो कोई 10 किलोमीटर दूर से भी आता है। आने जाने में कई बार बहुत सी परेशानियां झेलनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने पास निर्गत किया है, इसके बावजूद मामूली मामूली बातों पर जगह जगह परेशान किया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को चाहिए कि वो दवा व्यवसायियों के लिए विस्तृत गाइड लाइन जारी करे ताकि कारोबार में सहूलियत हो।
अंतर्राष्ट्रीय सीमा सील रहने से दवा दुकानों पर सन्नाटा, जोगबनी । लॉकडाउन में दवा दुकान खुलती तो है पर ग्राहक के नहीं आने पर सिर्फ खोलकर खानापूरी हो रही है। दुकानदारों का कहना है कि सीमा सील रहने के कारण लोग दुकान तक नही पहुच रहे है। नेपाली ग्राहकों पर आश्रित कई दुकानदार ने बताया इक्के-दुक्के स्थानीय लोग ही यहां आते हैं ।