सोमवार को माघ मेला में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में संतों ने श्रीराम जन्मभूमि न्यास को राम मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी सौंपने की मांग का प्रस्ताव पारित किया है। इसमें अयोध्या में मंदिर निर्माण की तारीख की घोषणा के बाबत फैसले को टाल दिया गया। मार्गदर्शक मंडल में शामिल विहिप के केंद्रीय पदाधिकारियों व संतों ने तय किया कि तारीख की घोषणा मंदिर निर्माण ट्रस्ट के गठन के बाद की जाएगी। इसमें कई और निर्णय लिए गए हैं।
स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने की अध्यक्षता
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दो सत्रों वाली बैठक में भगवान राम के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ पहला सत्र सुबह 10.30 बजे शुरू हुआ। अध्यक्षता स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने की। विहिप के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने प्रस्तावना रखी। मार्गदर्शक मंडल के पदाधिकारियों व सदस्यों के बीच एजेंडा रखा गया। प्रमुख संतों ने विचार रखे। दूसरा सत्र दोपहर तीन बजे से शाम पांच बजे तक चला। इसकी अध्यक्षता अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष व गुजरात के महिसाणा स्थित केवल्य पीठ के प्रमुख अविचल दास महाराज ने की। इस सत्र में प्रमुख प्रस्ताव पारित किए गए। दूसरे सत्र में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि भी शामिल हुए। दोनों सत्रों का संचालन विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष व मार्गदर्शक मंडल के संयोजक जीवेश्वर मिश्र ने किया है।
स्वामी अखिलेश्वरानंद महाराज ने दी पारित प्रस्तावों की जानकारी
बता दें कि बैठक के बाद मीडिया से मुखातिब विहिप के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे और मंडल के प्रमुख सदस्य स्वामी अखिलेश्वरानंद महाराज ने पारित प्रस्तावों के बारे में जानकारी दी। कहा कि अयोध्या में मंदिर निर्माण की तिथि संतों की सलाह पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा ट्रस्ट के गठन के बाद की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर आनंद प्रकट करने के लिए देश भर में रामोत्सव होगा। जिन गांवों और मुहल्लों में शिलापूजन कार्यक्रम हुए थे, वहां विशेष आयोजन होंगे।सीएए को लेकर विहिप, अखिल भारतीय संत समिति और अखिल भारतीय साध्वी शक्ति परिषद की ओर से जनजागरूकता अभियान चलाने का प्रस्ताव पारित हुआ। धर्मांतरण पर रोक के लिए भी रणनीति बनी। परिवार संस्कार भी चलाने का निर्णय हुआ। पारित प्रस्तावों को मंगलवार को संत सम्मेलन में प्रकट किया जाएगा, जिसमें देश भर के संत शामिल होंगे।