गंगा यात्रा में उमंग और आस्था का जलवा देखने को मिलता है। तटीय गांवों को इसका ‘प्रसाद’ भी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार देगी। बिजनौर से बलिया तक कुल 1038 गांव ऐसे हैं, जिन्हें मुश्किलों से पूरी तरह ‘मोक्ष’ दिलाने का निर्णय लिया गया है। यहां सॉलिड-लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट से लेकर ग्रामीणों की आर्थिक प्रगति को ध्यान में रखते हुए तमाम योजनाओं का लाभ पहुंचाने की तैयारी है।

बता दे कि उत्तर प्रदेश में गंगा बिजनौर से बलिया तक बहती है। इस 1144 किलोमीटर के सफर में गंगा के किनारे 26 जिले पड़ते हैं, जिनमें 1038 गांव हैं। नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सबसे अधिक जरूरत तटवासियों को ही जागरूक करने की है, जिसे देखते हुए ही सोमवार को बिजनौर और बलिया से गंगा यात्रा शुरू की गई है, जिसका समापन 31 जनवरी को कानपुर में होगा। सरकार ने यात्रा से 26 विभागों को जोड़ा है। वास्तव में इनका कार्य सिर्फ यात्रा की व्यवस्थाएं देखना नहीं, बल्कि अपने-अपने विभाग से संबंधित केंद्र और राज्य सरकार की सभी योजनाओं का लाभ इन गांवों को दिलाया जाना है।

इस यात्रा का लेकर जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि गंगा किनारे बसे सभी गांवों को ओडीएफ प्लस (खुले में शौचमुक्त अभियान का अगला चरण) युद्धस्तर पर किया जाएगा। इसके तहत सभी गांवों में सॉलिड-लिक्विड वेस्ट का निस्तारण होगा। कूड़े के साथ ही गोबर नजर नहीं आएगी। सिंचाई विभाग कार्ययोजना बना रहा है, ताकि इन सभी गांवों में शुद्ध पेयजल मुहैया कराया जा सके। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे अर्थ गंगा से जोड़ा है, इसलिए कृषि और बागवानी की सभी योजनाओं का लाभ किसानों को दिलाया जाएगा। हर गांव में गंगा नर्सरी बनेगी। किसानों को जीरो बजट और जैविक खेती कराई जाएगी। इससे किसानों को आर्थिक लाभ भी मिलेगा। यही नहीं, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में जिन ग्रामीणों को अभी आवास नहीं मिल सके हैं, उन्हें आवास दिलाने की प्रक्रिया भी जल्द शुरू हो जाएगी।

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