शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार मध्यप्रदेश की कमान संभाल ली है। भाजपा की एमपी में मिली हार की वजह से पार्टी काफी समय से सत्ता में नही थी। वही, इससे पहले शिवराज ने 13 साल तक मप्र के सीएम की कुर्सी संभाली है। सोमवार रात 9 बजे राज्यपाल लालजी टंडन ने राजभवन में आयोजित बेहद सादे समारोह में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ लेने वाले चौहान अकेले नेता हैं। कैबिनेट के बाकी मंत्रियों को कुछ दिनों बाद शपथ दिलाई जाएगी।
बता दे कि शपथ लेने के कुछ घंटे बाद ही मुख्यमंत्री ने विधानसभा की मंगलवार से तीन दिन के लिए बैठक बुलाने का फैसला किया।विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया कि वे मंगलवार को विश्वास मत हासिल करने का प्रस्ताव रखेंगे। बताया जा रहा है कि इसी दौरान वर्ष 2020-21 के लिए लेखानुदान भी प्रस्तुत किया जाएगा। चौथी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाले शिवराज ने भाजपा विधायक दल की बैठक में ही स्पष्ट कर दिया कि पिछली सरकार की गलतियां इस सरकार में नहीं दोहराई जाएंगी।
शासन करने की शैली में परिवर्तन किया जाएगा। सब मिलकर काम करेंगे। आशय साफ है कि पिछली सरकार में कार्यकर्ताओं की भारी उपेक्षा की गई थी,जो अब नहीं होगी।
विधायकों की नाराजगी दूर करेंगे शिवराज के तीसरे कार्यकाल में पूरे वक्त विधायकों की नाराजगी रही. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की समन्वय बैठकों में भी विधायकों ने तत्कालीन सरकार पर ब्यूरोक्रेसी के हावी होने का कई बार आरोप लगाया था।कोरोना संकट बड़ा संकट-शिवराज ने कहा ,ये वक्त जश्न मनाने का नहीं और न ही सरकार बनने पर पटाखे फोड़ने का है। प्रदेश संकट में है। हम सब को मिलकर संपर्क की चेन को तोड़ना है ताकि कोरोना को काबू में किया जा सके।