केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के सियासी मंच पर बदली परिस्थितियों में अपनी अहमियती साबित करने के लिए पुराने राजनीतिक नेता एकबार फिर सक्रिय हो गए हैं। यह नेता एक नया मोर्चा तैयार करना चाहते हैं, जो न सिर्फ घाटी में बल्कि जम्मू संभाग में भी पूरा प्रभाव रखे। संभावित मोर्चा तैयार करने में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के निष्कासित नेता जो पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री रह चुके हैं, अपने पूरे प्रभाव का इस्तेमाल कर रहे हैं। बता दें कि दोनों का दिल्ली में ही नहीं, विदेश में भी कुछ खास जगहों पर अच्छा प्रभाव माना जाता है। इनमें से एक नेता हाल ही में विदेश यात्रा से लौटे हैं। नए सियासी संगठन को तैयार करने में जुटे यह लोग केंद्र शासित जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के नारे के साथ अपनी सियासत शुरू करने पर आपस मे सहमति बना रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव
केंद्र सरकार मार्च-अप्रैल 2020 तक केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराना चाहती है। नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने पांच अगस्त से पूर्व की जम्मू-कश्मीर की स्थिति की बहाली होने तक चुनाव प्रक्रिया से दूर रहने का संकेत दिया है। इन दोनों दलों के सभी प्रमुख नेता नजरबंद हैं या फिर हिरासत में हैं।
क्षेत्रीय दलों के लिए जनता के समक्ष जाना मुश्किल
कांग्रेस भी पूरी तरह से सक्रिय नहीं है। इसके अलावा बदले माहौल में क्षेत्रीय दलों के लिए जनता के समक्ष जाना मुश्किल साबित हो रहा है, क्योंकि वह जिन मुद्दों पर लोगों से वोट मांगते रहे हैं, वह पूरी तरह समाप्त हो चुके हैं। केंद्र सरकार ने बीते चार माह के दौरान जम्मू कश्मीर में राजनीतिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिए अपने स्तर पर कई उपाय किए जो अभी तक सफल होते नजर नहीं आए हैं।