मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने रविवार को दिल्ली पुलिस के आयुक्त को लिखी चिट्ठी में राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार लोगों के नाम और पते कानून के तहत सार्वजनिक करने की मांग की। इस पत्र पर नेशनल कैम्पेन फॉर पीपुल्स राइट टू इंफॉरमेशन की सह समन्वयक अंजलि भारद्वाज, अधिवक्ता प्रशांत भूषण, भाकपा नेता एन्नी राजा, अमृता जौहरी और अन्य ने हस्ताक्षर किए हैं। पत्र में कहा गया कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 सी के तहत सभी जिलों में पुलिस नियंत्रण कक्ष स्थापित करना और धारा 41-सी(2) के तहत गिरफ्तार लोगों के नाम और पते नियंत्रण कक्ष के सूचना पट पर लगाना अनिवार्य है।
भारद्वाज ने ट्वीट कर बताया कि धारा 41-सी के अनुरूप गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए लोगों की सूचना उनके परिवार को देना अनिवार्य है ताकि सभी संबंधित लोगों को सही सूचना सुनिश्चित हो सके और भ्रामक सूचना से उनकी परेशानी और नहीं बढ़े। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘कानून में अनिवार्य होने के बावजूद जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनके नाम और पते उत्तर-पूर्व और शहादरा जिले के पुलिस नियंत्रण कक्ष और इन इलाकों में स्थित पुलिस थानों में प्रदर्शित नहीं किए जा रहे हैं।’’
पत्र में उल्लेख किया गया कि पुलिस गत महीनों में दिल्ली में हुई हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार लोगों की पर्याप्त जानकारी देने में असफल रही। पत्र के मुताबिक, ‘‘मौजूदा परिस्थितियों में इस तरह की पारदर्शिता अफवाहों और भ्रामक सूचनाओं से मुकाबला करने में कारगर होगी जो प्रभावित लोगों की पीड़ा बढ़ा रही है। हम अपील करते हैं कि कि कानूनी बाध्यता को पूरा किया जाए और क्षेत्र में सामान्य जीवन बहाल करने के लिए यह सुनिश्चित करें।’’ उल्लेखनीय है कि उत्तरपूर्व दिल्ली जाफ़राबाद, मौजपुर, बाबरपुर, चांदबाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार और मुस्तफाबाद में हुई हिंसा में कम से कम 42 लोगों की मौत हुई थी और करीब 200 लोग घायल हुए हैं। इस संबंध में 885 लोगों को हिरासत में लिया गया है या गिरफ्तार किया गया है जबकि पुलिस ने 167 प्राथमिकी दर्ज की है।