पाक और भारत के तीर्थयात्रियों को गुरुद्वारा दरबार साहिब के लिए पासपोर्ट के बिना करतारपुर गलियारे में प्रवेश करने की अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। वहीं इस बात का पता चला है कि पाकिस्तान के गृहमंत्री एजाज शाह ने देश की संसद को यह जानकारी दी। वहीं पिछले साल नवंबर में, पाकिस्तान और भारत ने अपनी सीमाओं से ऐतिहासिक गलियारे का उद्घाटन किया था गलियारा भारतीय सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान के नरोवाल जिले के करतारपुर क्षेत्र में श्रद्धेय गुरुद्वारा दरबार साहिब के लिए सबसे छोटा मार्ग प्रदान करता है, जहां गुरु नानक ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष बिताए थे।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मंत्री शाह ने बीते शुक्रवार यानी 7 फरवरी 2020 को प्रश्नकाल के दौरान नेशनल असेंबली को बताया कि वर्तमान में, करतारपुर कॉरिडोर में भारतीय तीर्थयात्रियों के पासपोर्ट-मुक्त प्रवेश की अनुमति नहीं थी, जो पाकिस्तान और भारत के बीच एक समझौता ज्ञापन के अनुसार था। जहां उन्होंने कहा, अधिक आगंतुकों को आकर्षित करने के लिए पासपोर्ट के बिना प्रविष्टि देने का प्रस्ताव विचाराधीन था, जिसके लिए विदेश मंत्रालय से विस्तृत इनपुट मांगा जा सकता है। वहीं उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के तहत, भारतीय श्रद्धालु सुबह से लेकर शाम तक कॉरीडोर घूम सकते हैं। इसके लिए उनके पास भारतीय पासपोर्ट होना चाहिए। भारतीय मूल का विदेशी नागरिक होने पर ओवरसीज सिटिजन कार्ड और जिस देश में रह रहे हैं, वहां का पासपोर्ट होना अनिवार्य है। हालांकि, कॉरीडोर आने वाले भारतीय नागरिकों के लिए विजा का प्रावधान नहीं है।

जांच करने पर पता चला है कि गुरुद्वारे आए लोगों को वहीं तक सीमित रहना होगा, पाकिस्तानी की ओर जा रहे रास्ते से बचना होगा। उन्होंने कहा कि गलियारे में और उसके आसपास की सभी गतिविधियों पर निगरानी कैमरों के माध्यम से नजर रखी जाती है। वहीं विदेशियों को राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करने का विवरण भी सदन में प्रस्तुत किया गया। आंतरिक मंत्रालय ने कहा कि 2009-2012 के दौरान 1,637 विदेशियों को राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी किए गए थे, जबकि 474 को 2013 से 2018 तक कार्ड जारी किए गए थे।

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