मदरलैंड संवाददाता, गोपालगंज।

गोपालगंज। शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति गोपालगंज के अध्यक्ष मंडलीय सदस्य सह टेट एसटेट उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष अतुल कुमार चौबे ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि सार्वजनिक शिक्षा के केंद्र सरकारी विद्यालयों में शैक्षणिक गुणवत्ता बहाल करने एवं वहां कार्यरत नियोजित शिक्षकों के सम्मानपूर्वक जीवनयापन हेतु सहायक शिक्षक- राज्यकर्मी का दर्जा एवं पूर्ण वेतनमान व सेवाशर्त की मांग पर जिले के हजारों शिक्षक विगत 17 फरवरी से ही हड़ताल पर हैं  ।परंतु शिक्षकों और उनके वेतन पर आश्रित लाखों पारिवारिक सदस्यों के प्रति बिहार सरकार संवेदनहीन बनी हुई है। राज्य सरकार को इस बात की रत्तीभर भी चिंता नहीं है कि उनके शिक्षक कोरोना आपदा के दौर में बगैर वेतन महामारी का सामना कर रहे होंगे। कोरोना और वेतनबंदी के बीच हड़ताल के दौरान प्रदेशभर के 54 से अधिक शिक्षक असमय काल के गाल में समा चुके हैं।हड़ताल पर सरकार की अनदेखी से शिक्षकों में आक्रोश और गहराता जा रहा है। इधर नियोजित शिक्षक भी मजबूती से हड़ताल में डटे हुए हैं। शिक्षकों का कहना है कि जबतक सरकार शिक्षकों के हड़ताल के मसले पर अपना स्टैंड स्पष्ट करते हुए हड़ताली शिक्षकों के विरुद्ध हुए बर्खास्तगी, निलंबन व प्राथमिकी समेत विभिन्न दमनात्मक कारवाईयों को वापस नही करती, हड़ताल अवधि का विधिवत सामंजन नही होता, शिक्षकों को राज्यकर्मी घोषित करते हुए सरकार कोरोना आपदा के बाद ही सही वेतनमान को लेकर वार्ता का डेट घोषित नही करती, शिक्षक हड़ताल में बने रहने को बाध्य हैं। इस बाबत जानकारी देते हुए शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के अध्यक्ष मंडलीय सदस्य सह टीइटी एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के जिलाध्यक्ष श्री अतुल कुमार चौबे ने आगे बताया कि किसी लोकतांत्रिक प्रणाली में अपने कर्मचारियों के प्रति सरकार की ये बेरुखी मानवता और संविधान का गला घोंटने जैसा है। जनान्दोलनों की उपज रहे मुख्यमंत्रीजी को अहम त्यागकर जनविपत्ति की इस बेला में अपने नागरिकों कर्मचारियों शिक्षकों की जीवनरक्षा करनी चाहिए। यह वक्त सबक सीखाने की मानसिकता से चलने का नही है. शिक्षकों के मसले पर जब तक सरकार चुप्पी नही तोड़ती, टीइटी-एसटीइटी समेत जिले के तमाम नियोजित शिक्षक हड़ताल में जमें रहेंगे। जिला महासचिव अंकज तिवारी और वरीय जिला उपाध्यक्ष अम्बुज सिन्हा व अंशु तिवारी ने कहा कि गोपालगंज जिले  का शिक्षक समाज कोरोना के खिलाफ सरकार और जनता के जंग में एकजुट है। सरकार को पहल लेकर शिक्षकों के मसले पर सहानुभूतिपूर्वक निर्णय लेनी चाहिए। संघ के संरक्षक सत्यप्रकाश पांडेय व मीडिया प्रभारी संजीव रंजन ने कहा कि दमन और बेरुखी से शिक्षक आंदोलन नही दबेगा। समन्वय समिति कटेया के वरिष्ठ शिक्षक नेता विश्वरंजन स्वरूप पाठक ने कठोर शब्दों मे कहा कि वाजिब वेतन से वंचित करना नियोजित शिक्षकों को उनके मानवीय गरिमा से बहिष्कृत करने जैसा है। वही समन्वय समिति सदस्य उमाशंकर बैठा व अश्विनी मिश्र ने बताया कि चार दर्जन से ज्यादा शिक्षकों की जान ले चुकी भेदभाव व शोषण की सरकारी नीति कोरोना वायरस से कम घातक नहीं है।

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