बिहार की जेलों में एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंसी सिंड्रोम) से पीड़ित कैदियों की तादाद बहुत तेजी से बढ़ रही है, जहां 4010 कैदियों के ब्लड टेस्ट में 89 में एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो डेफिसिएंसी वायरस) का संक्रमण पाया गया है। जेल महानिरीक्षक मिथिलेश मिश्रा ने बताया है कि बिहार की विभिन्न जेलों में कैद चार हजार से ज्यादा कैदियों के रक्त की जांच कराई गई, जिनमें से 89 एड्स से पीड़ित पाए गए।

पीड़ित कैदियों का विभिन्न केंद्रों में इलाज
उन्होंने बताया है कि इन पीड़ित कैदियों का विभिन्न केंद्रों में इलाज करवाया जा रहा है। जांच के दौरान 122 कैदियों में यक्षमा (टीबी) का संक्रमण भी पाया गया है। मिश्रा ने कहा कि कई शख्स तो जेल आने के पहले से ही एचआईवी संक्रमित थे, जबकि कुछ कैदियों में यह संक्रमण जेल में आने के बाद फैला है। उन्होंने कहा कि संभवत: अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना भी कैदियों के एड्स से पीड़ित होने की वजह हो सकता है। उन्होंने कहा कि बिहार की जेलों में बंद कैदियों में एचआईवी-एड्स के संक्रमण को और फैलने से रोकने के लिए सभी जरुरी कदम उठाए जा रहे हैं।

संक्रमण की रोकथाम के लिए करेंगे कार्य
बिहार की जेलों में एड्स पर अंकुश लगाने के लिए कारा विभाग और सरकार के नशा मुक्ति केद्रों ने अभी हाल ही में बिहार राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के साथ सहमति पत्र (एमओयू) पर दस्तखत किया है। इस अनुबंध के तहत सभी पक्ष राज्य की जेलों में बंद कैदियों में यक्ष्मा (टीबी) के संक्रमण की रोकथाम के लिए भी कार्य करेंगे। बिहार राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के परियोजना निदेशक डॉ. अभय प्रसाद ने कहा कि एड्स के 80 फीसद मामले असुरक्षित एवं अप्राकृतिक यौनाचार की वजह से है।

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