कपड़ा मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि घरेलू कपड़ा उद्योग को वैश्विक बाजार में चीन द्वारा छोड़े गये 20 अरब डालर के कपड़ा बाजार में अपनी पैठ बढ़ानी चाहिये। चीन इस समय कोरोना वायरस से जूझ रहा है। भारतीय कपड़ा उद्योग के लिये उभरती संभावनाओं पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुये कपड़ा सचिव रवि कपूर ने कहा कि घरलू कपड़ा निर्यात पिछले 5-7 साल से एक मुकाम पर जाकर रुक सा गया है, ‘‘सरकार के लिये यह बड़ी चिंता की बात है।’’ कपूर ने कहा, ‘‘भारत को आगे बढ़कर इस अवसर का लाभ उठाना चाहिये।

प्रत्येक संकट के पीछे एक उम्मीद की किरण

हालांकि, यह अपने आप को प्रस्तुत करने का सही तरीका नहीं है लेकिन प्रत्येक संकट के पीछे एक उम्मीद की किरण भी होती है। मेरा मानना है कि हम अपनी भावनाओं और वित्तीय, राजनीतिक तथा राजनयिक सहायता के स्तर पर पूरी तरह से चीन के साथ है लेकिन फिर भी हमारे सामने एक बड़ा आर्थिक अवसर है जिस पर हम आगे बढ़ सकते हैं।’’ सचिव ने कहा कि इस स्थिति को देखते हुये समूचे उद्योग को एक साथ आगे आकर बातचीत करनी चाहिये और देखना चाहिये कि उद्योग संघ इस अवसर का लाभ उठाने के लिये कितने तैयार हैं। इसके लिये यह सही समय होगा। देश के कपड़ा निर्यात के एक जगह जाकर ठहर जाने के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार का ऐसा मानना है कि एक प्रमुख मुद्दा यह है कि मौजूदा संकट को छोड़कर (कोरोना वायरस संकट) चीन ने जिस बाजार को छोड़ा है उसका लाभ उठाना चाहिये।

चीन ने करीब 20 अरब डालर के निर्यात बाजार को छोड़ दिया

सचिव ने कहा कि पिछले तीन साल के दौरान मानव निर्मित कपड़े के क्षेत्र में चीन ने करीब 20 अरब डालर के निर्यात बाजार को छोड़ दिया है, लेकिन इस बाजार पर वियतनाम ने कब्जा कर दिया।‘‘अब स्थिति हमारे अनुकूल है, कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी (समारोह में उपिस्थत थी) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से (मानव निर्मित कपड़े पर प्रतिकूल शुल्क ढांचे के मुद्दे पर) आज सुबह ही बात की है।’’ कपूर ने कहा कि यदि प्रतिकूल शुल्क ढांचे को हटा लिया जाता है तो मानव निर्मित कपड़ा अपने आप में उद्योग के लिये व्यापक अवसर होगा। देश में हस्तशिल्प सहित कपड़ा और परिधान उद्योग का कुल कारोबार 2018 में 140 अरब डालर रहा है जिसमें से 100 अरब डालर का कारोबार घरेलू स्तर पर होता है जबकि 40 अरब डालर का राजस्व निर्यात बाजार से मिलता है।

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