केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 22 वें विधि आयोग के गठन को मंजूरी दी गयी है जिसका कार्यकाल सरकारी राजपत्र में गठन के आदेश के प्रकाशन की तिथि से तीन वर्ष की अवधि के लिए होगा और जो जटिल कानूनी मसलों पर सरकार को सलाह देगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इसकी मंजूरी दी गयी। इससे पहले 21 वें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त 2018 को समाप्त हुआ था।

1955 में किया गया था गठन
विधि आयोग भारत सरकार द्वारा समय-समय पर गठित एक गैर-सांविधिक निकाय है। इसका मूल रूप से 1955 में गठन किया गया था। आयोग का पुनर्गठन तीन साल के लिए किया जाता है। मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद विधि मंत्रालय आयोग के गठन संबंधी अधिसूचना जारी करेगा। आयोग का कार्यकाल अधिसूचना के प्रकाशन की तिथि से तीन साल तक के लिए होगा। बयान में कहा गया है कि इस आयोग में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष, चार पूर्णकालिक सदस्य (सदस्य सचिव सहित) और पदेन सदस्य के रूप में विधि मंत्रालय के विधायी विभाग सचिव पदेन सदस्य के रूप में होंगे। बयान में कहा गया है कि इसमें अधिकतम पांच अंशकालिक सदस्य भी होंगे। आम तौर पर उच्चतम न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश अथवा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आयोग की अगुवाई करते हैं।

संहिताकरण के बारे में महत्वपूर्ण योगदान
बयान में कहा गया है कि विभिन्न विधि आयोग प्रगतिशील विकास और देश के कानून के संहिताकरण के बारे में महत्वपूर्ण योगदान देने में समर्थ रहे हैं तथा विधि आयोगों ने अब तक 277 रिपोर्ट प्रस्तुत की हैं। न्यायमूर्ति बी एस चौहान (सेवा निवृत्त) की अगुवाई वाले 21वें विधि आयोग ने जो अनुसंशा की थी, उनमें लोकसभा विधानसभा का चुनाव साथ साथ कराने तथा समान नागरिक संहिता शामिल है।

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