दिल्ली वक्फ बोर्ड के एक सदस्य ने सलाह दी है कि कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले ऐसे मुस्लिमों को दफन करने की जिम्मेदारी बोर्ड को दी जा सकती है, जिनके परिवारों ने उनके शव पर अब तक दावा नहीं किया है। मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए हिमाल अख्तर ने कहा कि कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले कुछ मुसलमानों के शव अस्पतालों में रखे हुए हैं क्योंकि लॉकडाउन के कारण उनके परिजन यहां नहीं पहुंच पा रहे। वहीं, 25 मार्च से लागू देशव्यापी लॉकडाउन को अब तीन मई तक के लिए विस्तार दे दिया गया है।

दिल्ली वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को लिखे पत्र में अख्तर ने कहा कि किसी के धर्म और परंपरा के अनुसार उसका अंतिम संस्कार करना मौलिक अधिकार भी है। अख्तर ने पत्र में लिखा, ”कुछ मीडिया रिपोर्ट से हमें जानकारी मिली है कि कुछ मुसलमानों के शव को दफनाया नहीं जा सका है क्योंकि अस्पताल इसकी इजाजत नहीं दे रहे हैं और लॉकडाउन के कारण परिजन पहुंच नहीं सकते हैं। इसलिए वक्फ बोर्ड की जिम्मेदारी बनती है कि इनके मौलिक अधिकार के तहत इन्हें कब्रिस्तान में दफनाया जाए।” पत्र की एक प्रति मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी भेजी गई है।

 

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