मदरलैंड संवाददाता, अररिया
अररिया – सूबे में गेहूं की फसल तैयार हो गई है और कई जगहों पर कटाई भी की जा रही है। कई किसानों ने गेहूं को तैयार भी कर लिया है। लेकिन, लॉकडाउन के चलते तैयार गेहूं किसानों के घर व गोदामों में ही पड़ा है। किसानों को गेहूं बिकने के बाजार नहीं मिल रहे हैं वहीं सरकारी स्तर पर पैक्स के माध्यम से भी गेहूं की खरीदारी नहीं हो रही है। हालांकि कृषि मंत्री ने 15 अप्रैल से बिहार के सभी पंचायतों में पैक्स के माध्यम से गेहूं खरीद करने का आदेश दिया है। इधर छोटे व मंझले किसानों को अगली खेती करने के लिए आर्थिक संकट रोड़ा बन रही है। वहीं बड़े किसान भी मजबूरी बस हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। नरपतगंज प्रखंड के किसानो ने बताया कि लोगों ने कर्ज लेकर गेहूं की खेती की थी कितु अब उन्हें उनके महाजन कर्ज लिया गया पैसा वापस मांग रहे हैं ऐसे में यदि यह कहा जाता है कि रुपये के बदले गेहूं ले लें तो वे तैयार नहीं हो रहे हैं। किसानों के बीच अब तैयार गेहूं को बेचने के लिए हाहाकार मचा हुआ है कितु लॉकडाउन के वजह से गेहूं के खरीददार किसानों के खेतों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। अब सरकार तथा प्रशासन भी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है जिस तरह से दुनिया में कोरोना वायरस ने तबाही मचा रखी है और अपने देश में भी इसका व्यापक असर पड़ा है ऐसे आम आदमी तक भोजन पहुंचाने के लिए खाद्यान्न की सरकारी स्तर पर खरीददारी होनी चाहिए इसके लिए तमाम सरकारी गोदामों में सरकार द्वारा अविलंब गेहूं की खरीदारी कर रखा जाना चाहिए। इस संबंध में जब मोबाइल पर कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के वजह से व्यवस्था थोड़ा अस्त व्यस्त है सामान्य स्थिति में अब तक गेहूं की खरीदारी पैक्स के माध्यम से हो गई होती कितु लॉकडाउन के वजह से ही थोड़ा विलंब हो रहा है जल्द ही गेहूं की खरीदारी शुरू होगी। इधर उन्होंने कहा कि मार्च एवं अप्रैल माह में आई तूफान से जिन किसानों की फसलों की क्षति हुई है उनकी भरपाई करने के लिए भी सरकार सोच रही है इसके लिए किसान सलाहकार एक सर्वे कर रिपोर्ट तैयार कर पटना भेजेंगे तब किसानों की क्षति का आकलन भी होगा और उन्हें मुआवजे की राशि भी जल्द दी जाएगी।