काफी समय से संसद में शीतकालीन सत्र के पांचवे दिन राज्यसभा में बढ़ते प्रदूषण और पराली जलाए जाने पर बहस हुई। इस दौरान भाजपा के एक सदस्य ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि प्रदूषण और पराली जलाये जाने के मुद्दे पर पिछले कुछ दिनों से संसद में चल रही अधिकतर चर्चा अंग्रेजी में हो रही है जिसे सुनकर दिल्ली के आसपास के राज्यों के किसानों को यह नहीं समझ में आ रहा है कि इसमें उन पर इलज़ाम लगाया जा रहा है या उन्हें शाबाशी दी जा रही है।

मिली जानकारी के मुताबिक राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान भाजपा के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डीपी वत्स ने जब पूरक प्रश्न पूछते समय यह बात कही तो सदन में बैठे सदस्यों के चेहरे पर मुस्कान उभर आई। वही वत्स ने पंजाब एवं हरियाणा जैसे राज्यों में किसानों द्वारा पुआल और पराली के प्रबंधन से जुड़े मुद्दे पर पूरक प्रश्न पूछते हुए कहा कि वायु प्रदूषण और पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में पुआल जलाने के विषय पर संसद में पिछले दो दिन चर्चा चली।

ऐसा कहा जा रहा है कि उन्होंने कहा कि यह चर्चा अधिकतर अंग्रेजी भाषा में हुई। इसलिए इन राज्यों के हिन्दी एवं पंजाबी भाषी किसानों को यह समझ नहीं आ रहा कि इसमें उन पर आरोप लगाया जा रहा है या उन्हें शाबाशी दी जा रही है। वही सदन में प्रश्नकाल के दौरान समाजवादी पार्टी के रविप्रकाश वर्मा ने पूरक प्रश्न पूछते समय इस बात पर चिंता जताई कि देश के लिए अनाज पैदा करने वाले किसानों को पराली जलाने के कारण गिरफ्तार किया जाना चाहिए। जहां उन्होंने कहा कि यह बहुत चिंताजनक मामला है और किसानों को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हालांकि कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने इस प्रश्न के जवाब में यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि यह राज्य का विषय बनता जा रहा है और इस पर केन्द्र कुछ नहीं कर सकता। बाद में सभापति एम वेंकैया नायडू ने तृणमूल कांग्रेस के सदस्य एवं वरिष्ठ वकील सुखेन्दु शेखर राय से यह जानना चाहा कि क्या उच्चतम न्यायालय ने पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई करने का कुछ निर्देश दिया है? इस पर राय ने अपना सिर हिलाकर सहमति जतायी। इस पर नायडू ने कहा कि फिर तो यह एक गंभीर मुद्दा है।

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