अविनाश भगत : भले ही नये उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने एक पखवाड़ा पूर्व यह कहा है कि प्रदेश में जल्द ही चुनाव कराए जाऐंगे, लेकिन इस बावत सरगर्मियां दिखाई नहीं देती हैं। उपराज्यपाल ने यह बात जिला रियासी के तलवाड़ा पुलिस लाइन में कही थी। हालांकि उपराज्यपाल के बयान के बाद राजनीतिक हल्कों में भी बयानबाजी देखी गई। लेकिन उसके बाद रहस्यमय खामोशी छा गई। लेकिन अब भाजपा का कहना है कि विधानसभा चुनाव के पूर्व इन सीटों का नये सिरे से परिसीमन होगा।

370 व अनुच्छेद 35ए को हटाया
बता दें कि, बीते साल 19 जून को भाजपा ने अचानक नई दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस के जरिए सूबे की पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापिस करने का ऐलान किया था। जिसके बाद 20 जून को यहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। उसके बाद यहां की राजनीति में कईं तरह के उतार चढ़ाव आए। आखिरकार 5 अगस्त को सूबा-ए जम्मू कश्मीर को दो संघ शासित प्रदेशों में पुनर्गठित कर दिया गया। उसी दिन यहां से विवादित धारा 370 व अनुच्छेद 35ए को भी संसद ने भारी बहुमत के साथ हटा दिया था।

जम्मू कश्मीर में मौजूदा वक्त में 83 सीटें
दो भागों में विभक्त हुए सूबा-ए जम्मू कश्मीर में तब कुल 87 विधानसभा क्षेत्र थे। जिनमें जम्मू 37 कश्मीर 46 तथा लददाख की 4 सीटें थीं। अब जबकि लददाख अलग से संघ शासित प्रदेश बन गया है, अब जम्मू तथा कश्मीर में मौजूदा वक्त में 83 सीटें रह गईं हैं। भाजपा का कहना है कि यहां होने वाले विधानसभा से पूर्व इन दिनों रीजन में सीटों का परिसीमन कार्य होगा। पार्टी के प्रदेश महासचिव अशोक कौल का कहना है कि नये परिसीमन में यहां की सीटें बढ़कर 90 कर दी जाऐंगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस परिसीमन आयोग का प्रमुख उच्च न्यायलय का कोई न्यायधीश बनाया जाए। ताकि परिसीमन पर कोई सवाल न खड़ा कर सके। सूत्रों का कहना है कि नये परिसीमन में 7 विधानसभा सीटें बढ़ सकती हैं। जोकि क्षेत्रफल व आबादी के हिसाब से तय की जाऐंगी। संभवतः यह सभी 7 सीटें जम्मू संभाग में बढ़े। तभी उसके बाद प्रदेश में विधनसभा चुनाव करवाए जाएं। ताकि जम्मू और कश्मीर में ठीक-ठीक संतुलन बन सके।

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