सरकार ने ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ (पीएमएफबीवाई) को किसानों के लिए स्वैच्छिक बनाने का बुधवार को फैसला किया। जिसमें अब ऐसे किसान जिन्होंने फसल कर्ज ले रखा है या जो फसल कर्ज लेना चाहते हैं, वे सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को अपनाने या न अपनाने को स्वतंत्र होंगे। सरकार का कहना कुछ किसान संगठनों और राज्य सरकारों ने इस कार्यक्रम को लागू किए के विशेषय में कुछ चिंताएं जताई थीं। उसके मद्देनजर यह निर्णय किया गया है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
एक सरकारी बयान में कहा गया है, ‘‘केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई)’ तथा ‘पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस)’ को नया रूप देने के प्रस्तावों को मंजूरी दी है ताकि फसल बीमा योजना को लागू करने में आ रही चुनौतियों का समाधान किया जा सके।’’ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा फरवरी 2016 में शुरू की गई इस फसल बीमा योजना के तहत, ऋण लेने वाले किसानों के लिये यह बीमा पालिसी लेना अनिवार्य किया गया था। पीएमएफबीवाई में ऐसे प्राकृतिक जोखिमों से किसान की खेती को हुए नुकसान के लिए बीमा सहायता दी जाती है जिन्हें टाला नहीं जा सकता। इसमें फसल बुवाई से पहले और कटाई के बाद तक के लिए व्यापक फसल बीमा सुरक्षा प्रदान की जाती है। इसमें खरीफ फसलों के लिए दो प्रतिशत, रबी फसलों के बीमा संरक्षण के लिए 1.5 प्रतिशत और बागवानी एवं वाणिज्यिक फसलों के लिए अत्यंत कम पांच प्रतिशत की दर से प्रीमियम रखा गया है।

किसानों की संख्या में तत्काल गिरावट
मंत्रिमंडल ने चालू पीएमएफबीवाई और आरडब्ल्यूबीसीआईएस योजनाओं के कुछ मापदंडों एवं प्रावधानों के संशोधन को मंजूरी दी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह योजना सभी किसानों (दोनों पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस) के लिए स्वैच्छिक बना दी गयी है।’’ उन्होंने कहा कि इस समय कुल किसानों से 58 फीसदी ने फसल कर्ज ले रखे हैं। बाकी 42 फीसदी ने कर्जदार नहीं लिए हैं। तोमर ने कहा कि इस फैसले से इन योजनाओं का लाभ लेने वाले किसानों की संख्या में तत्काल गिरावट देखने को मिल सकती है लेकिन अंतत: स्कीम को चुनने वाले किसान बढ़ेगे। मंत्री ने कहा कि सरकार फसल बीमा पॉलिसी की आवश्यकता के बारे में किसानों को जागरूक करने का अभियान शुरू करेगी। इन संशोधनों से किसान संगठनों और राज्यों द्वारा पीएमएफबीवाई योजना के बारे में उठाई गई चिंताओं को दूर करने में मदद मिलेगी। योजना में बाकी सुधार के बारे में तोमर ने कहा कि बीमा कंपनियों को व्यवसाय का आवंटन निविदा प्रक्रिया के तहत होगा जो तीन वर्षो के लिए होगा जो अभी एक से तीन वर्ष की अवधि के लिए है। संबंधित निर्णय के बारे में जारी सरकारी बयान में कहा गया है, ‘‘(पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस दोनों स्कीम में)प्रीमियम सब्सिडी में केन्द्रीय हिस्सा पूर्वोत्तर राज्यों के लिए वर्तमान 50:50 की साझा व्यवस्था से बढ़ाकर 90 प्रतिशत किया जाएगा।’’ मंत्रिमंडल के निर्णय के अनुसार इस योजना के अनुपालन के लिए

खर्चों का प्रावधान कुल आवंटन के तीन प्रतिशत के बराबर
प्रशासनिक खर्चों का प्रावधान कुल आवंटन के तीन प्रतिशत के बराबर होगा। इसकी व्यवस्था केंद्र सरकार तथा योजना लागू करने वाली राज्य सरकार द्वारा मिल कर किया जाएगा। पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस के अंतर्गत केन्द्रीय सब्सिडी की दर असिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिए प्रीमियम की दर के 30 प्रतिशत तक सीमित होगी। इसी तरह सिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिए यह सब्सिडी 25 प्रतिशत तक सीमित रखी गयी है। 50 प्रतिशत या उससे अधिक सिंचित क्षेत्र वाले जिलों को सिंचित क्षेत्र/जिला माना जाएगा।

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