राज ठाकरे की अध्यक्षता वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने पार्टी के पहले महाधिवेशन में गुरूवार को पार्टी का नया झंडा जारी किया है। इसके साथ ही पार्टी प्रमुख राज ठाकरे ने अपने बेटे अमित ठाकरे को सियासत के मैदान में उतार दिया है। पहले से ऐसी अटकलें थी कि मनसे के महाधिवेशन से अमित ठाकरे औपचारिक रूप से सक्रिय राजनीति में एंट्री ले सकते हैं। गुरूवार को यह अंदाज़ा सही साबित हुआ। अमित ठाकरे ने औपचारिक तौर पर पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।

राजनेता के रूप में सामने आने के बाद, महाधिवेशन में अमित ठाकरे ने शिक्षा का एक संकल्प पेश किया। महाधिवेशन में यह भी ऐलान किया गया कि यह शिक्षा सम्मेलन अमित ठाकरे के नेतृत्व में आयोजित किया जाएगा। वहीं राज ठाकरे ने पार्टी के पुराने झंडे को बदल दिया गया है और झंडे को पूरी तरह भगवा कर दिया गया है। इससे पहले पार्टी के झंडे में पांच रंग थे। पार्टी की तरफ से जारी किए गए झंडे में शिवाजी महाराज के शासनकाल की मुद्रा अंकित है। झंडे पर संस्कृत में श्लोक लिखा गया है।

अमित ठाकरे को सियासी मैदान में उतारने और पार्टी का नया झंडा लॉन्च करने के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या मनसे, शिव सेना के आक्रामक हिन्दुत्व के मुद्दे को हथियाने की दिशा में आगे बढ़ रही है? इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि क्या मनसे अमित ठाकरे के माध्यम से आदित्य ठाकरे के ज़रिए युवा मतदाताओं को आकर्षित करने की शिव​सेना के योजनाओं को चुनौती देने का प्रयास करेगी?

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