सरकार ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त द्वारा नागरिकता संशोधन कानून के संबंध में भारत के उच्चतम न्यायालय में हस्तक्षेप याचिका दाखिल किये जाने पर कड़ा विरोध व्यक्त किया है और कहा है कि भारत की संप्रभुता से जुड़े विषयों पर विदेशी पक्ष की कोई भूमिका नहीं हो सकती है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने मंगलवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि जिनेवा स्थित भारतीय मिशन ने कल शाम संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त को सूचित किया है कि उनके कार्यालय ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) 2019 को लेकर भारत के उच्चतम न्यायालय में एक हस्तक्षेप याचिका दाखिल की है।

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त से कहा गया है सीएए भारत का आंतरिक मामला है और यह भारतीय संसद के कानून बनाने के संप्रभु अधिकारों से जुड़ा विषय है। हमारा दृढ़ विश्वास है कि भारत की संप्रभुता से जुड़े विषयों पर किसी भी विदेशी पक्षकार की कोई भूमिका नहीं है। श्री कुमार ने कहा कि भारत ने कहा है कि हमारा स्पष्ट मत है कि सीएए संवैधानिक रूप से वैध है और हमारे संवैधानिक मूल्यों की सभी आवश्यकताएं पूरी करता है। यह विभाजन की त्रासदी के कारण उपजे मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दों पर हमारी दीर्घकालिक राष्ट्रीय प्रतिबद्धता का परिचायक है। प्रवक्ता के अनुसार सरकार ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और कानून के अनुसार चलता है। हमारी स्वतंत्र न्यायपालिका पर हमें पूरा भरोसा है और उसके प्रति पूर्ण सम्मान है। हमें विश्वास है कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय में हमारे इस वैधानिक रुख की पुष्टि होगी।

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