अयोध्या राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामले में शीर्ष अदालत के फैसले को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड रिव्यू पिटिशन दाखिल नहीं करेगा। मंगलवार को सुन्नी वक्फ बोर्ड की मीटिंग हुई। इस बैठक में मात्र एक सदस्य अब्दुल रज्जाक पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के पक्ष में थे। किन्तु बोर्ड ने 6-1 के बहुमत से यह फैसला लिया। इस मीटिंग में मस्जिद की जमीन को लेकर हुई कोई बातचीत नहीं हुई। अगली बैठक में जमीन के मामले पर वार्ता होगी।

पांच जजों की बेंच ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
उल्लेखनीय है कि अयोध्या विवाद पर शीर्ष अदालत के पांच जजों की बेंच ने 9 नवंबर को सर्वसम्मति से ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। निर्मोही अखाड़े के दावे का खंडन करते हुए शीर्ष अदालत ने रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड को ही पक्षकार माना था। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा विवादित जमीन को तीन पक्षों में बांटने के फैसले को अतार्किक बताया था। आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला दिया था।

मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन
अदालत ने साथ में यह भी आदेश दिया था कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही किसी दूसरे स्थान पर मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन दी जाए। अदालत ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट का गठन करे। इस ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी प्रतिनिधित्व देने के लिए कहा है।

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