हैदराबाद निजाम संपत्ति मामले में इंग्लैंड एंड वेल्स के उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए पाकिस्तान को आदेश दिया है कि वह दशकों चली इस कानूनी कार्रवाई के दौरान आए खर्चे का 65 प्रतिशत हिस्सा भारत और रियासत के दोनों पक्षों को चुकता करे। इससे पहले विगत 3 अक्टूबर को 64 वर्षों पुराने हैदराबाद के 7वें निजाम मीर उस्मान अली खान के खजाने से संबंधित मामले में भारत के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।

पाकिस्तान को दिया करारा
ब्रिटिश अदालत ने पाकिस्तान को करारा झटका देते हुए अपने फैसले में कहा था कि लंदन के बैंक में जमा निजाम की रकम पर भारत और निजाम के उत्तराधिकारियों का अधिकार है। पाकिस्तान ने दावा किया था कि लंदन स्थित नेटवेस्ट बैंक में पाकिस्तान हाई कमीशन के साथ हैदराबाद रियासत के उस समय के निजाम ने 1948 में 1 मिलियन पाउंड जमा कराए थे।

वैल्यू बढ़कर 35 मिलियन पाउंड
जिसकी वैल्यू बढ़कर अब 35 मिलियन पाउंड (लगभग 3 अरब 8 करोड़ 40 लाख रुपए) हो गई थी। पाकिस्तान ने इस राशि पर अपना दावा ठोका था, किन्तु कोर्ट ने फैसला भारत और हैदराबाद निजाम के वंशजों के पक्ष में सुनाया था। निजाम के वंशजों में प्रिंस मुकर्रम जाह और उनके छोटे भाई मुफ्फखम जाह हैं, अब इन्हे ये संपत्ति मिलेगी।

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