नई दिल्ली | कॉर्डिनेशन ऑफ बैंक पेंशनर्स और रिटायरीस आर्गेनाईजेशन(सीबीप्रो) वित्तीय विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार और भारतीय बैंक संघ के साथ लंबे समय से लंबित मांगों को उठा रहा है। संगठन का कहना है कि सरकार और आईबीए ने लंबे समय से लंबित मुद्दों के समाधान के लिए उदासीन रवैया दिखाया है। श्री के वी आचार्य और श्री ए रमेश बाबू, सीबीपी आरओ के संयुक्त संयोजकों ने बैंक पेंशनरों और सेवानिवृत्त लोगों के लंबित मुद्दों पर प्रकाश डाला, जिसके लिए वे लगभग दो दशकों से धरना, प्रदर्शन और अन्य कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। लेकिन अभी तक संगठन की मांगों को हल करने की दिशा में कोई कदम नही उठाया गया है। इसलिए सीबीप्रो ने गुरुवार को दिल्ली के जंतर मंतर, नई दिल्ली लर सुबह 10.30 बजे से एक दिवसीय धरना आयोजित करने का निर्णय किया है। जिसका मकसद वरिष्ठ और सुपर सीनियर सिटीजन बैंक पेंशनरों और सेवानिवृत्त लोगों की शिकायतों को हल करने के लिए वित मंत्रालय, भारत सरकार और IBA के असंवेदनशील और गैर-प्रतिक्रियात्मक रवैये के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करना है।
समाज के उपेक्षित क्षेत्रों और व्यापार और उद्योग के लिए बैंकिंग सेवाएँ का विशेष योगदान है। इनका मानना है कि सरकार और आईबीए की ओर से मौन और निष्क्रियता न केवल बैंक कर्मचारी पेंशन विनियमन का उल्लंघन है, बल्कि पेंशन के अद्यतन के संबंध में भी भेदभावपूर्ण है। साथ ही सरकार की राष्ट्रीय दायित्व नीति के खिलाफ है। श्री के वी आचार्य ने कहा कि पेंशन लाभ का वर्तमान संवितरण पेंशन निधि में वार्षिक उपज / योगदान का 40% भी नहीं था। यह बैंक पेंशनभोगियों के प्रति अधिकारियों के नकारात्मक रवैये का वर्णन करता है, जिन्होंने देश के दूर-दराज के इलाकों में बैंकिंग ले जाने के लिए अपना पसीना बहाया था। इसके साथ ही पिछले 5 दशकों से देश के सामाजिक आर्थिक विकास के लिए सरकार के सभी कार्यक्रमों को लागू किया था।

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